राजनांदगांव– जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को विधानसभा चुनाव में मिली हार और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारे जाने के फैसले के बाद पदाधिकारियों का पार्टी से मोहभंग हो गया है. कार्यकर्ता हताश हो गए हैं. आज राजनांदगांव के पूर्व शहर जिला अध्यक्ष मेहुल मारू ने इस्तीफा दे दिया. मारू ने अपने इस्तीफे में प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. वहीं मंगलवार को बलौदाबाजार के जिला अध्यक्ष योगेश मिश्रा ने भी जेसीसी(जे) छोड़ दिया. राजनीतिक हल्के में ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि दोनों बहुत जल्द कांग्रेस ज्वाईन कर सकते हैं.

योगेश मिश्रा

 

मेहुल मारू ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि जकांछ-जे राजनांदगांव का पूर्व शहर जिला अध्यक्ष पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं. विगत कुछ दिनों से पार्टी की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त होती दिखाई पड़ रही है. लोकसभा चुनावों में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारना, बार-बार बयान बदलना ये सब दुखद है. पार्टी पूरी तरह से उद्देश्य से भटक गई है.

सुप्रीमो अजीत जोगी की भूमिका शून्य हो गई है, वे कही किसी निर्णय में दिखाई नहीं पढ़ते हैं. पार्टी का नीति सिध्दांत “छत्तीसगढ़ प्रथम” न होकर “केवल अमित जोगी प्रथम” रह गया है.

मैं कांग्रेस छोड़ कर एक नए छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए जोगी से जुड़ा था, मगर हालिया निर्णय से पार्टी की नीति नियत केवल अमित जोगी तक सिमट गई है. वैसे भी ये विगत कुछ माह से लगातार दिल्ली दरबार में वापसी के लिए प्रयासरत है. पार्टी से जुड़े अन्य साथियों से भी आव्हान करता हूं गलती को सुधारें न कि दोहराते रहे.

बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी को कुल 7.6% वोट मिले, जिसे पार्टी की बैठकों में बढ़ा-चढ़ाकर 14% बताया जाता है, जबकि बसपा के वोट शेयर 3.9% को जोड़ ले तो भी आंकड़ा 14% तक नहीं जाता.

भूपेश सरकार के चंद महीनों के कार्यों को जिस तरह से ब्रिटिश सरकार ने सराहा और अपने देश बुलाकर सम्मानित करने का निर्णय लिया जो सच्चे छत्तीसगढ़ वाशियों के लिए गर्व की बात होना चाहिए,  जिसकी खुले मन से प्रशंसा करनी छोड़ अमित जोगी इस पर भी निम्न स्तर की टिका टिप्पणी करने में लगे हुए हैं. मैं हमेशा संम्प्रदायीक ताकतों,  भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता रहा हूं, आगे भी लड़ता रहूंगा.