सत्या राजपूत, रायपुर. एक बार फिर लल्लूराम डॉट काम की खबर का बड़ा असर हुआ है. छात्रों की परीक्षा के बीच आयोजित व्यावसायिक शिक्षकों का प्रशिक्षण स्थगित कर दिया गया है. इसका आदेश राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा ने जारी किया है. बता दें कि वित्त वर्ष के अंतिम समय को देखते हुए आनन फानन में फंड को खत्म करने परीक्षा के बीच व्यावसायिक शिक्षकों की 40 दिनों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया था. इस पर लल्लूराम डॉट काम ने सवाल उठाते हुए खबर प्रकाशित किया था.

इसे भी पढ़ें – परीक्षा के समय शिक्षकों की ट्रेनिंग पर उठे सवाल: समग्र शिक्षा विभाग पर बंदरबांट के आरोप, शिक्षाविदों ने कहा- बच्चों की चिंता थी तो पहले क्यों नहीं दिया गया प्रशिक्षण

विभागीय अधिकारियों की तानाशाही से परीक्षा के बीच प्रशिक्षण से हजारों विद्यार्थी, सैकड़ों व्यावसायिक शिक्षक परेशान थे. प्रशिक्षण स्थगित होने से शिक्षकों को राहत मिली है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि तानाशाही, मनमर्जी, कमीशनखोरी के चक्कर में प्रशिक्षण आयोजित करने वाले अधिकारियों पर कब कार्रवाई होगी.

व्यावसायिक शिक्षकों में था भय का माहौल

शिक्षकों का कहना था कि इस प्रशिक्षण को रोकना ही विद्यार्थियों के हित में होगा, क्योंकि यह परीक्षा का समय है. नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया था कि “बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार करें या खुद प्रशिक्षण में जाएं? हमें ट्रेनिंग से समस्या नहीं है, लेकिन इसका समय बिल्कुल गलत है. गर्मी की छुट्टियां भी आने वाली है, ऐसे में इसका लाभ न शिक्षकों को मिलेगा और न ही विद्यार्थियों को.” शिक्षकों का आरोप था कि विभागीय अधिकारियों और राज्य समन्वयकों का इतना दबदबा है कि शिक्षक खुलकर इस विषय पर बात करने से डर रहे.

शिक्षाविदों ने कहा था – ट्रेनिंग ज़रूरी, लेकिन समय गलत

शिक्षाविदों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह प्रशिक्षण आवश्यक तो है, लेकिन इसका समय उचित नहीं है. उनका मानना था कि परीक्षा के समय यह प्रशिक्षण आयोजित करने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी और सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल होगा. “यदि प्रशिक्षण इतना ही आवश्यक था तो इसे स्कूल खुलने से पहले या सत्र के शुरुआती दिनों में आयोजित किया जाना चाहिए था. इस समय आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं दिखता, बल्कि यह सरकार के धन के दुरुपयोग जैसा प्रतीत होता है.”

विभाग में व्यवस्था के बाद भी बाहर दिया जा रहा प्रशिक्षण

शिक्षकों ने सवाल उठाया था कि जिस बिल्डिंग में समग्र शिक्षा का कार्यालय है, उसमें 4-5 कार्यशाला हॉल पहले से उपलब्ध है. वहाँ बड़े टीवी, प्रोजेक्टर, साउंड सिस्टम और अन्य तकनीकी सुविधाएं हैं, जहां केंद्र सरकार के कार्यक्रम और प्रशिक्षण होते हैं. ऐसे में 40-50 किलोमीटर दूर जाकर प्रशिक्षण कराने की क्या जरूरत थी?