मनोज यादव, कोरबा– आज के इस दौर में ऐसे बहुत कम लोग मिलते हैं जो ईमानदारी के पाठ को जिंदा रखें. लेकिन जब कोई रुपयों से भरा बैग वापस कर दे तो लगता है कि हां आज भी इंसानियत जिंदा है. जीवन में रुपया पैसा कुछ भी मायने नहीं रखता. असली धन तो इंसान का ईमान है.
दरअसल, कोरबा संजय नगर निवासी रमेश चंद्र केसरवानी ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है. रमेश के ऑटो पर एक सवारी का बैग छूट गया था. जब वह घर पहुंचा तो इसकी जानकारी उसे भी नहीं थी. सुबह फिर से ऑटो लेकर निकलने ही वाला था कि बैग पर उसकी नजर पड़ी. बैग खोलकर देखा तो 10 हजार रुपए और बैंक पासबुक था. उसे वह जिला ऑटो संघ के कार्यालय में लाकर जमा कर दिया.
ऑटो संघ के अध्यक्ष आजम खान ने बताया कि रमेश ने ईमानदारी का परिचय देते हुए पैसा संघ कार्यालय में जमा किया. हमने बैग मालिक को बुलाकर पैसा लौटा दिया. इस घटना की जानकारी ऑटो संघ के पदाधिकारियों ने पुलिस को दी.
बैग मालिक दिनश कुमार की माने तो वो अपने पिता के साथ देवपहरी से कोरबा बैंक पैसा निकालने आया हुआ था. वापस लौटते समय बस स्टैंड से वो ऑटो में चढ़ा. उसके बाद कोसाबाड़ी के पास दूसरा ऑटो में सवार होकर देवपहरी के लिए रवाना हो गए. जब रास्ते मे जब उन्हें याद आया कि उनका रुपए से भरा बैग ऑटो में ही छूट गया है, जिसमें 10 हजार रखा हुआ है.
कोरबा वापस आने के बाद उसने घंटो ऑटो चालक की पतासाजी करते रहे, लेकिन वो नहीं मिला. अगली सुबह पता चला कि उसका बैग जिला ऑटो संघ के कार्यालय में जमा है. सुबह जब पहुंचे तो उन्हें रुपए समेत बैग लौटाया गया.
कोतवाली प्रभारी दुर्गेश शर्मा ने बताया कि ऐसे ऑटो चालक बहुत कम मिलते हैं, जो अपनी इमानदारी की मिसाल पेश करें. बैग मालिक को रुपए समेत वापस कर ऑटो चालकों को बुके देकर सम्मानित किया गया.
बता दें कि इससे पहले भी कई ऑटो चालक सवारी के रुपए और सोने चांदी से भरे बैग छूटने पर वह ऑटो संघ के कार्यालय में जमा कर ईमानदारी की मिसाल दे चुके हैं. रमेश चंद ने फिर से एक मिसाल पेश कर ऑटो संघ के चालकों का मान बढ़ाया है.