रमेश सिन्हा, पिथौरा। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व पोला 21 अगस्त को श्रद्धा व उल्लास से मनाया गया। आज के दिन खेतों में काम करने वाले किसानो अपने बैलों का साज-श्रृंगार और पूजा-अर्चना कर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भोग लगाया। बाजार में बच्चों ने मिट्टी के बैलों की पूजा करके चलाने का आनंद उठाया।
पोला के अवसर पर पहले बैल सजावट एवं बैल दौड़ मुख्य आयोजन रहता था लेकिन इस तरह आयोजन विलुप्त हो चला है। पहले गेंड़ी नृत्य, गेंड़ी दौड़़, बोरा दौड़, स्लो साइकिल दौड़ व फुगड़ी प्रतियोगता भी आयोजित होती थी। लेकिन आधुनिक संस्कृति ने जब से घरों में अपनी जगह बना ली है ये खेल भी विलुप्ति की कगार पर है।