सत्या राजपूत रायपुर- आरटीई वेब पोर्टल के त्रुटियों में सुधार नहीं करने से हजारों गरीब पालक अपने बच्चे को निजी स्कूल में दाखिला कराने से चूक गए हैं. शिकायत के बाद भी इसमें सुधार नहीं किया गया, अब छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन वेब पोर्टल को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है, ताकि आरटीई (राइट टू एजूकेशन) कानून का लाभ ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मिल सके.

पालकों ने बताया कि आरटीई कानून में यह स्पष्ट कहा गया है कि एक किलोमीटर के क्षेत्र में नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवी तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाए, यानि बच्चें के घर से एक किलोमीटर की परिधि में आने वाले स्कलों में उन्हें प्रवेश दिया जाएगा. यदि प्रचलित एक किलोमीटर के दायरे में यह संख्या (25 प्रतिशत) पूरी नहीं होती, तो दायरे को बढ़ाया भी जा सकता है, लेकिन पोर्टल में ऐसा नहीं है. पोर्टल में वार्ड और मोहल्लों के अनुसार मैपिंग किया गया है यानि बच्चा जिस वार्ड या मोहल्ला में रहता है वह उसी वार्ड या मोहल्ले के स्कूलों में प्रवेश पा सकता है जो कानून का उल्लघंन है.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 14 सितंबर 2016 को यह आदेश दिया था कि बच्चे को किसी भी स्कूल में आवेदन करने की सुविधा दिया जाना चाहिए, ताकि एक भी सीट रिक्त न रह जाए, लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश का पालन आज तक नहीं किया.

राज्य सरकार के नियम 2010 के कंडिका 14 में यह स्पष्ट लिखा है कि प्रवेश के लिए विस्तारित अवधि शैक्षिक वर्ष के आरंभ की तारीख से छह माह यानि दिसंबर तक होगी, लेकिन पोर्टल में यह सुविधा नहीं है. मई के बाद स्कूलों को रिक्त सीटों पर या आरक्षित सीटों पर किसी भी बच्चे को फीस लेकर प्रवेश की छूट दे दी जाती है जो उचित नहीं है.

आरटीई कानून के प्रावधान के अनुसार स्कूलों में लिये गए नया दाखिला का 25 प्रतिशत सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित किया जाना है, लेकिन पोर्टल में कुल दर्ज संख्या के अनुसार सीट आरक्षित किए जाते हैं, जिसके कारण सत्र 2018-19 में कक्षा पहली में ज्यादातर स्कूलों में इस श्रेणी के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया.

राज्य शासन और जिला प्रशासन यह तर्क बताया कि केजी -2 से प्रमोट होकर आये बच्चों से यह आरक्षित सीट्स भर गया इसलिये कक्षा-1 में इस श्रेणी के बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया, लेकिन रिक्त या आरक्षित दिखाकर इस श्रेणी के बच्चों से ऑनलाईन फॉर्म भरवाये गए थे. इस सत्र में भी कक्षा-1 में रिक्त या आरक्षित सीट दिखाकर इस श्रेणी के बच्चों से ऑनलाईन फॉर्म भरवाये जा रहे हैं, यानि पोर्टल में जो गलती विगत वर्ष किया गया था इस वर्ष भी इसे सुधारा नहीं गया.

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि आरटीई वेब पोर्टल में अभी कई त्रुटियां है, जिसे सुधारा नहीं गया, जिससे गरीब बच्चों को इस कानून का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसलिए हमने इस वेब पोर्टल को हाईकोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है, क्योंकि हमारी मंशा है इस कानून का लाभ ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मिले.

पैरेंट्स एसोसिएशन के सचिव का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश का शिक्षा विभाग खुलेआम उल्लंघन कर रही है. आदेश है कि 3 स्कूल के तीन किलो मीटर के दायरे नियम लागू होता है, लेकिन पोर्टल में एक किलोमीटर लिखा है, और जटिल प्रक्रिया होने के कारण आरटीई का फायदा लोगों को नहीं मिल रहा.