रायपुर- कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) ने आज पुदुच्चेरी में कल से चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में आज व्यापारियों का राष्ट्रीय चार्टर जारी किया है. इसमें कहा कि जो दल व्यापारियों के चार्टर को स्वीकार करेगा और उसको लागू करने का भरोसा देगा, उसी दल को देश के 7 करोड़ व्यापारी एक वोट बैंक के रूप में एकमुश्त वोट देगा.

सम्मेलन में देश के 26 राज्यों के 200 से अधिक प्रमुख व्यापारी नेताओं ने भाग लेते हुए कहा कि क्योंकि अब तक व्यापारियों को सदा उपेक्षित रखा गया इस कारण से मजबूर होकर देशभर के व्यापारियों को अपने आपको एक वोट बैंक में बदलना पड़ रहा है, क्योंकि देश में अब वोट बैंक की राजनीति हावी है.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया, राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने चार्टर जारी करते हुए बताया कि चार्टर में एक बेहतर ई-कामर्स पॉलिसी घोषित हो, जिससे वर्तमान में हो रहे विषाक्त ई-कामर्स व्यापार को साफ़ करने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा क़ायम हो सके. रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति बनाने, केंद्र में प्रथक रूप से एक आंतरिक व्यापार मंत्रालय का गठन, एक रिटेल रेग्युलटॉरी अथॉरिटी का गठन एवं ई-कामर्स के लिए एक रेग्युलटॉरी अथॉरिटी का गठन हो.

साथ ही जीएसटी कर ढांचे का सरलीकरण, देश के वर्तमान रिटेल व्यापार के ढाँचे को आधुनिक बनाने के लिए एक ठोस योजना बनाने, डिजिटल भुगतान पर लगने वाले बैंक शुल्क को समाप्त करने, देश में एक मॉडल किराया क़ानून बनाने, मुद्रा योजना में व्यापारियों को आसानी से क़र्ज़ मिल सके. इसके लिए नान बैंकिंग फ़ाइनेन्स कम्पनी एवं माइक्रो फ़ाइनेन्स इंस्टिट्यूशन को जोड़ना, एक नेशनल बोर्ड फ़ोर इंटर्नल ट्रेड आदि शामिल हैं.

चार्टर में यह भी मांग की गई है कि जीएसटी में पंजीकृत प्रत्येक व्यापारी को उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर 10 लाख का दुर्घटना बीमा, कम्प्यूटर ख़रीदने पर व्यापारियों को सब्सिडी, बैंकों द्वारा व्यापारियों को दिए जाने वाले क़र्ज़ पर चालू ब्याज दर पर 2 प्रतिशत की रियायत एवं 65 वर्ष की आयु से व्यापारियों को पेन्शन दी जाए.

चार्टर में व्यापारियों को मिलने वाले क़र्ज़ को दोबारा परिभाषित करने, बाज़ारों में ढाँचागत सुविधाएँ प्रदान करने, व्यापारियों एवं बाज़ारों की व्यापक सुरक्षा, फ़ूड ग्रेन और आवश्यक वस्तुओं को वायदा बाज़ार से बाहर रखने जम्मू में चुंगी समाप्त की जाए. वहीं देशभर से मंडी टैक्स एवं प्रफ़ेशनल टैक्स समाप्त कर जीएसटी में समाहित करने, प्रत्येक व्यापार के लिए केवल एक लाइसेन्स लेने तथा ग्राम पंचायत से लेकर विधान परिषद में अन्य वर्गों की तरह प्रतिनिधितिव करने आदि भी शामिल हैं.