रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के एक व्यक्ति लक्ष्मण सिंह यादव को उसकी ज़मीन पर 48 घंटों के भीतर काबिज़ कराया. इस ज़मीन से लक्ष्मण को नक्सलियों ने 2014 से बेदखल कर दिया था. ज़मीन से बेदखल होने के बाद उनका परिवार बिखर गया. रोज़ी-रोटी के लाले पड़ गए थे.

लक्ष्मण सिंह पिछले पांच साल से जगह-जगह अपनी ज़मीन वापस दिलाने की गुहार लगा रहे थे. लेकिन किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी. बेबस होकर लक्ष्मण सिंह फरसपाल में एक मंदिर का पुजारी बनकर किसी तरह जीवन यापन कर रहा था. भूपेश बघेल के लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की ज़मीन लौटाने की खबर के बाद एक पत्रकार ने लक्ष्मण की बात मुख्यमंत्री से कराई. मुख्यमंत्री ने घटना की जानकारी मिलते ही कोंडागांव कलेक्टर को निर्देश देकर मामले के तुरंत निपटारे के निर्देश दिए.
दरअसल, लक्ष्मण कोंडागांव के बड़े डोंगर इलाके के गोड़मा गांव का रहने वाला था. 2014 में नक्सलियों ने इन्हें सुरक्षा बलों को अपने घर खाना खिलाने के आरोप में घर से उठाकर ले गए और इनकी 30 डिसमिल ज़मीन से बेदखल कर दिया. लक्ष्मण को नक्सलियों द्वारा पीटा गया. लक्ष्मण को मरा समझकर नक्सली चले गए. लेकिन लक्ष्मण मरे नहीं थे. उन्हें कुछ लोगों ने महारानी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. किसी तरह लक्ष्मण की जान बच गई लेकिन अपनी ज़मीन से वे बेदखल हो गए.

लक्ष्मण के लड़के जगदलपुर में कुली-मज़दूरी करके जीवन यापन करने लगे. इस बीच लक्ष्मण खुद फरसगांव में एक मंदिर में पुजारी बनकर रहने लगे. इस दौरान उन्होने अपनी ज़मीन फिर से दिलाने के लिए जगह- जगह गुहार लगाई, लेकिन कोई उनकी ज़मीन नहीं दिला पाया.

कलेक्टर नीलकंठ टेकाम का कहना है कि मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश मिलने के 48 घंटे के भीतर ज़मीन पर लक्ष्मण का कब्ज़ा दिला दिया गया. चूंकि गोड़मा में अब प्रशासन बेहद मज़बूत है, लिहाज़ा लक्ष्मण को किसी किस्म की दिक्कत नहीं है.