विक्रम मिश्र, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब सिर्फ एमवाय समीकरण के साथ नहीं है। अब उनकी फेहरिस्त में पीडीए भी शामिल हो गया है। यही कारण है कि अखिलेश बसपा के बिखरे वोट बैंक को अपने पार्टी के साथ लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे है। हालांकि पीडीए के नारे का फायदा भी उनको और उनकी पार्टी को मिला है। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी पीडीए के बल पर ही यूपी में 37 सांसद जीता पाई है।
साल दर साल नया प्रयोग
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर चुनाव से पहले नया प्रयोग करते दिखते है। पिछले चुनावों की बात करे तो वो कांग्रेस के साथ तो कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ मंच साझा करते दिखाई दिए है। हालांकि इसका कोई विशेष फायदा उनको मिला नही। लेकिन अब अखिलेश अनुसूचित और पिछड़े वोटरों को साधने में लगे हुए है।
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जाटव वोटर पर नजर
बसपा के कमजोर होने के बाद जाटव वोटरों को संभालना बसपा के लिए टेढ़ी खीर नज़र आने लगा है। ऐसे में सपा, भाजपा और कांग्रेस की नज़र इन वोटरों पर है। जिनके ज़रिए ही वो सत्ता का सिंघासन पा सकते है। इसलिए तो सपा ने पीडीए का फार्मूला ईजाद किया है। जिसका फायदा भी उनकी पार्टी बीते लोकसभा चुनाव में उठा चुकी है।
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कभी सिर्फ यादव और मुसलमानों के इर्दगिर्द समाजवादी पार्टी अब पीडीए के साथ भी नजर आने लगी है। यही कारण है कि बसपा के पुराने दिग्गज और मजबूत जनाधार वाले नेताओं को सपा पार्टी में शामिल कर रही है।
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