Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए गोल्डन ऑवर में कैशलेस इलाज की योजना को लागू करने में देरी के लिए केंद्र को फटकार लगाई. साथ ही कोर्ट ने सड़क परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways of India) के सचिव को मामले में सफाई के लिए तलब कर अवमानना नोटिस जारी करने की चेतावनी दी. कोर्ट ने 8 जनवरी को सुनवाई के दौरान केंद्र को निर्देश दिया था कि वह कानून के तहत मोटर हादसों के पीड़ितों के लिए कैशलेस मेडिकल ट्रिटमेंट की योजना पर काम करे.

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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की बेंच ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र 8 जनवरी से अदालत के आदेश का पालन करने में विफल रहा है. बेंच ने कहा कि दिया गया समय 15 मार्च, 2025 को समाप्त हो गया है.

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जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह न केवल इस अदालत के आदेशों का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि एक बहुत ही लाभकारी कानून को लागू करने का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होने और यह बताने का निर्देश देते हैं कि इस कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया.” सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि वे अड़चनों का सामना कर रहे हैं.

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कोर्ट ने यह भी कहा कि, यह आपका अपना कानून है, हादसे में लोग जान गंवा रहे हैं, क्योंकि कैशलेस इलाज की कोई सुविधा नहीं है. यह आम लोगों के फायदे के लिए सुविधा है. हम आपको (सचिव) नोटिस भेज रहे हैं, हम अवमानना ​​के तहत कार्रवाई करेंगे. अपने सचिव को कहें कि यहां आकर सफाई दें.”

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28 को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को मामले पर स्पष्टीकरण के लिए 28 अप्रैल को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित होने का निर्देश भी दिया. कोर्ट ने पहले 8 जनवरी को अपने फैसले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) का हवाला दिया था और केंद्र सरकार को 14 मार्च तक योजना उपलब्ध कराने का आदेश दिया था, जिससे हादसे के शिकार लोगों का जल्दी से इलाज शुरू कराया जा सके और कई लोगों की जान भी बचाई जा सके.

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बता दें कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12-ए) के तहत परिभाषित सबसे अहम समय यानी पहले घंटे को Golden Hour कहा जाता है, इसमें हादसे में घायल शख्स के लिए शुरुआती एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है, जिसके तहत समय पर इलाज मिलने पर मौत की संभावना को टाली जा सकती है.

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