Renuka Chaturdashi 2025: चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली रेणुका चतुर्दशी इस वर्ष 11 अप्रैल को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है। यह पर्व देवी रेणुका माता को समर्पित है, जिन्हें भगवान परशुराम की माता और तप, सेवा, संयम की प्रतीक माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के छैगांव देवी मंदिर में देखने को मिलता है। मान्यता है कि माता रेणुका यहीं पुनः प्रकट हुई थीं और आज भी यहां उनका चमत्कारी रूप दर्शन देता है।

पौराणिक कथा के अनुसार

ऋषि जमदग्नि ने अपनी पत्नी रेणुका को एक क्षणिक मोह के कारण दंड देने का आदेश अपने पुत्रों को दिया। जब सभी पुत्रों ने मना कर दिया, तो सबसे छोटे पुत्र परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए माता का सिर काट दिया। इस पर प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने परशुराम को वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने माता को पुनर्जीवित करने सहित तीन वरदान मांगे।

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21 दिन बाद यहीं प्रकट हुई थीं माता

ऋषि ने कहा था कि माता 21 दिन के भीतर पुनः प्रकट होंगी और मान्यता है कि उनका पुनर्जन्म छैगांव देवी में हुआ। यहां की पहाड़ी पर माता ने तप किया और अपने चमत्कारों से लोगों को चकित किया।

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मंदिर है चमत्कारों का केंद्र

छैगांव देवी मंदिर आज श्रद्धा और चमत्कारों का केंद्र बन चुका है। कहा जाता है कि चैत्र चतुर्दशी के दिन यहां माता की मूर्ति एक फीट ऊंची होकर सजीव प्रतीत होती है। मंदिर में स्थित बावड़ी का जल रोगों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

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इस चीज का लगता है भोग

हर वर्ष इस दिन हजारों भक्त यहां जुटते हैं। वे माता को दूध, फीके चावल, गुड़ आदि अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं। रेणुका चतुर्दशी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और भक्ति का जीवंत अनुभव बन चुकी है।

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