Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Former CM Vasundhara Raje) के बयान ने हलचल मचा दी है. जल संकट (Water Crisis) को लेकर अफसरों पर नाराज़गी जताने वाली वसुंधरा को अब पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने भी जवाब दे दिया है.

अशोक गहलोत बोले- समूचे राजस्थान की बात करें वसुंधरा

राजे की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा, “उन्हें पूरे राजस्थान की बात करनी चाहिए, न कि केवल अपने गृह जिले की. हमारी सरकार ने ERCP जैसी योजनाओं में उनके प्रस्तावों को बिना भेदभाव आगे बढ़ाया था.”

गहलोत ने आगे कहा कि वसुंधरा को बड़ा दिल (big-hearted approach) दिखाते हुए समूचे प्रदेश के विकास पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अगले 11 सालों में क्या होगा, यह स्पष्ट नहीं है, ऐसे में उन्हें प्रदेशहित पर ही फोकस करना चाहिए.”

क्या कहा था वसुंधरा राजे ने?

8 अप्रैल को राजे ने जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) और जलदाय विभाग के अधिकारियों को रायपुर कस्बे के ग्रामीणों के बीच जमकर फटकारा था. उन्होंने कहा था: “क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ अफसरों को ही लगती है? गर्मी में जनता त्रस्त है, अफसर तृप्त हैं. पानी कागज़ों में नहीं, होंठों तक पहुँचना चाहिए. अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी.”

मदन राठौड़ ने किया समर्थन

वसुंधरा के इस तेवर पर बीजेपी नेता मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने भी सहमति जताई और कहा: “वसुंधरा राजे हमारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (National Vice President) हैं. उन्होंने जो कहा, वह बिल्कुल सही है. अधिकारी अगर लापरवाही करते हैं, तो उन्हें फटकार मिलनी चाहिए. हम कार्यकर्ताओं की बलि नहीं चढ़ने देंगे और अफसरों की गलती पर कार्रवाई होनी ही चाहिए.”

क्यों गरमाया मामला?

गर्मी के मौसम में राज्य के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत है. ऐसे में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों इस मुद्दे पर प्रशासन की भूमिका (Administrative Accountability) को लेकर आमने-सामने हैं. गहलोत की नसीहत और राठौड़ के समर्थन के बाद यह साफ हो गया है कि जल संकट अब सिर्फ़ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक बहस (political debate) का मुद्दा बन चुका है.

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