अजयारविंद नामदेव, शहडोल। एमपी के शहडोल जिले में बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ गया है, जहां कई कौवों की मौत की पुष्टि हुई है। प्रशासन ने 3 किलोमीटर के दायरे में पोल्ट्री फार्म से सैंपल लेना शुरू कर दिया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और सभी सावधानी बरती जा रही है।

जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर झीक बिजुरी क्षेत्र के मैरटोला करौदी में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही कौवों की मौत लोग दहशत के साये में है। उनके घरों, खेत-खलिहान में आसमान से मरे हुए कौवे गिर रहे है। वहीं एक साथ लगभग तीन दर्जन से अधिक कौवों के मरने से गांव में हड़कंप मच गया। आसमान में एक साथ कौवों का झुंड उड़ता हुआ नजर आता है और जोर जोर से आवाज करता है। फिर अचानक जमीन पर गिरकर तड़प तड़प कर मर जाते हैं।

सैंपल में बर्ड फ्लू से मौत की पुष्टि

कौवों की मौत का रहस्य जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग व पशु चिकित्सकों ने बर्ड फ्लू की आशंका पर लक्षण के आधार पर फौरी जांच की। मृत कौवों के लिए गए सैंपल में बर्ड फ्लू से मौत होना पाया गया। प्रशासन ने 3 किलोमीटर के दायरे में पोल्ट्री फार्म से सैंपल लेना शुरू कर दिया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और सभी सावधानी बरती जा रही है।

कौवों की मौत के बाद विभाग अलर्ट

बर्ड फ़्लू,या एवियन इन्फ़्लूएंज़ा पक्षियों में होने वाला एक संक्रामक वायरल रोग है। यह जंगली और पालतू दोनों तरह के पक्षियों में फैलता है। दुर्लभ मामलों में यह इंसानों को भी प्रभावित कर सकता है। बर्ड फ़्लू से बचने के लिए पोल्ट्री फार्म या पक्षियों से सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए. संक्रमित पक्षियों के आस-पास रहने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। पशु चिकित्सक विभाग डिप्टी डायरेक्टर डॉ राम कुमार पाठक ने बताया कि कौवों की मौत के बाद विभाग अलर्ट हो गया। बर्ड फ्लू की आशंका पर लक्षण के आधार पर फौरी जांच की जा रही है, लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रहे है।

कैंप लगाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉक्टर राजेश मिश्रा ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद हमने टीम का गठन किया है। जो लगातार कैंप लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रही है। अभी तक ऐसे कोई संदिग्ध मरीज या ऐसी चीज मिली नहीं मिली है जिससे मानव संक्रमण हो, कैंप लगाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इससे मानव शरीर में कोई गंभीर अथवा घातक प्रभाव नहीं पड़ता है।

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