दिल्ली पुलिस(Delhi Police) की क्राइम ब्रांच ने एक पूर्व सैनिक को गिरफ्तार किया है, जो अपनी पत्नी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. यह गिरफ्तारी मध्य प्रदेश के उसके पैतृक गांव से की गई, 20 साल बाद जब उसने पैरोल का उल्लंघन किया. 36 साल पहले उसने अपनी पत्नी की हत्या कर शव को जला दिया था, जिसके लिए अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि, वह 2005 में पैरोल मिलने के बाद से फरार था.

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पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, अनिल कुमार तिवारी (58), जो मध्य प्रदेश के सीधी का निवासी है, भारतीय सेना के आयुध कोर में चालक के रूप में कार्यरत रह चुका है. गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं किया, केवल नकद लेन-देन किया और लगातार अपने निवास और नौकरी में परिवर्तन करता रहा. दो दशकों से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचते हुए उसने दूसरी शादी की और उसके चार संतानें भी हैं.

क्या है पूरा मामला

पूर्व सैनिक अनिल कुमार तिवारी ने मई 1989 में अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या की और उसके शव को जलाने का प्रयास किया. उसने इस अपराध को आत्महत्या के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की जांच में वह पकड़ा गया. अदालत ने उसे दोषी मानते हुए 1989 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में उसे दो सप्ताह की पैरोल प्रदान की थी, लेकिन उसने पैरोल का उल्लंघन करते हुए फरार हो गया. दो दशकों से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने के बाद, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अंततः 12 अप्रैल को अनिल तिवारी को उसके जन्मस्थान से गिरफ्तार कर लिया.

डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने बताया कि नवंबर 2005 में तिवारी को दो सप्ताह की पैरोल दी गई थी, लेकिन पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद वह जेल नहीं लौटा और फरार हो गया.

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पुलिस ने उसे कैसे ढूंढा

डीसीपी ने जानकारी दी कि क्राइम ब्रांच ने संदिग्ध की पहचान के लिए एक विशेष टीम का गठन किया. हाल ही में, तकनीकी और मैनुअल निगरानी के माध्यम से क्राइम ब्रांच की टीम को यह पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में और बाद में मध्य प्रदेश के सीधी जिले में अपने पैतृक गांव में है. इस सूचना के आधार पर, पुलिस टीम ने उसके गांव में छापा मारकर अंततः उसे गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी से कैसे बचता रहा

पुलिस की पूछताछ के दौरान अनिल तिवारी ने बताया कि उसे इस बात का ज्ञान था कि पुलिस उसकी तलाश कर रही है, इसलिए उसने कभी भी मोबाइल फोन का उपयोग नहीं किया. वह लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा और विभिन्न शहरों में ड्राइवर के रूप में कार्य करता रहा, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी डिजिटल लेन-देन का प्रमाण न रहे. उसने हमेशा नकद लेन-देन किया ताकि कोई इलेक्ट्रॉनिक सबूत न मिले. पुलिस ने यह भी बताया कि अनिल ने दूसरी शादी करने की बात स्वीकार की है, जिससे उसके चार बच्चे हैं.