ED Summons To Robert Vadra: शिकोहपुर जमीन घोटाले में बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा ईडी दफ्तर पहुंच गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जमीन घोटाले केस में दूसरी बार समन मिलने के बाद रॉबर्ट वाड्रा घर से पैदल ही चलकर ईडी दफ्तर पहुंचे। ईडी PMLA के तहत वाड्रा का बयान दर्ज कर रही है। इससे पहले उन्हें आठ अप्रैल को तलब किया गया था लेकिन वह ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए थे।
ईडी दफ्तर जाने के दौरान मीडिया से बात करते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार बदले के तहत कारवाई कर रही है। मुझे नहीं पता कि दोष क्या है. जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ भी छिपाने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 20 साल से अब तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है, अगर कुछ है तो सामने लाया जाए।
उन्होंने कहा कि मैं जब लोगों के हित में बोलता हूं तो मुझे दबाया जाता है। ये संसद में राहुल की आवाज दबाते हैं और यहां मेरी। जब भी मैं लोगों की आवाज उठाता हूं, मुझे दबाया जाता है। यह पूछे जाने पर कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। क्या वह इसके लिए तैयार हैं? इस पर वाड्रा ने कहा कि मैं हर चीज के लिए तैयार हूं। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर बोले कि बीस साल से इन्हें कुछ नहीं मिला है। अगर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है तो प्रूफ करो. यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
मुझे राजनीति में एंट्री करने से रोका जा रहा
उन्होंने कहा कि लोग मुझे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि मैं राजनीति में शामिल हो जाऊं। जब मैं राजनीति में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करता हूं, तो वे मुझे नीचे गिराने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पुराने मुद्दे उठाते हैं। मामले में कुछ भी नहीं है. पिछले 20 वर्षों में मुझे 15 बार बुलाया गया और हर बार 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। 23000 दस्तावेजों को व्यवस्थित करना आसान नहीं है।
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल यह मामला 2008 का है। उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम में 3.53 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ की कीमत पर कॉलोनी डेवलप करने के नाम पर दी थी। हरियाणा सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डेवलप करने की इजाजत देते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को लाइसेंस दिया था। हालांकि कॉलोनी विकसित करने की बजाय रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को 2012 में 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था। ईडी को शक है कि यह सौदा मनी लॉन्ड्रिंग यानी काले धन को सफेद बनाने की योजना का हिस्सा हो सकता है इसलिए एजेंसी इस जमीन सौदे से हुए इतने ज्यादा मुनाफे के पीछे के पैसों की जांच कर रही है।
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