महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज की मांग से संबंधित मामलों में सेक्शन 498ए के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है. इन मामलों में अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग कर रही हैं, जिससे पुरुषों को परेशान करने का एक साधन बन गया है. इसी प्रकार की दलीलों के साथ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया.

सीएम मैडम! हमारी प्रिंसिपल न स्कूल की फीस बढ़ा दी है… जब तोतली बोली में बच्चों ने CM रेखा गुप्ता से की शिकायत, जानें फिर क्या हुआ, देखें वीडियो

अर्जी में उल्लेख किया गया कि सेक्शन 498A, जो महिलाओं के प्रति क्रूरता को अपराध मानता है, समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इस पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सेक्शन 498A संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता और यह समानता के अधिकार के खिलाफ नहीं है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. के. सिंह की बेंच के समक्ष प्रस्तुत अर्जी में यह दावा किया गया था कि वैवाहिक विवादों के दौरान महिलाओं द्वारा सेक्शन 498ए का दुरुपयोग किया जाता है. अदालत ने इस अर्जी को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि अदालत के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है और यह कहना गलत है कि सेक्शन 498ए समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसके बजाय, अदालत ने यह सुझाव दिया कि महिलाओं के संरक्षण के लिए आर्टिकल 15 के तहत कानून बनाना आवश्यक है. दुरुपयोग के मामलों को प्रत्येक केस के आधार पर देखा जाना चाहिए. याची के वकील ने बेंच के समक्ष यह भी कहा कि घरेलू हिंसा के मामलों में अन्य देशों में जेंडर निष्पक्षता की स्थिति है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली के वायु प्रदूषण पर चेताया, कहा- दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है कि 3 दिन रुके तो हो सकते हैं बीमार

उन्होंने कहा कि वहां घरेलू हिंसा के मामले में महिला या पुरुष दोनों ही शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जबकि भारत में यह अधिकार केवल महिलाओं को प्राप्त है. इस तर्क को अदालत ने अस्वीकार कर दिया और आपत्ति भी जताई. बेंच ने स्पष्ट किया कि हम एक संप्रभु राष्ट्र हैं, इसलिए हमें दूसरों का अनुसरण करने की आवश्यकता नहीं है; बल्कि, वे हमें अनुसरण करें. अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी कानून का दुरुपयोग संभव है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कानून में कोई कमी है. महत्वपूर्ण यह है कि हम प्रत्येक मामले की गहन जांच करें और यदि किसी कानून का गलत उपयोग हो रहा है, तो उस पर विचार किया जाए. उन्होंने यह भी बताया कि कई ऐसे मामले हैं जहां कानून का गलत इस्तेमाल हुआ होगा, लेकिन इस पर एकतरफा टिप्पणी नहीं की जा सकती.