विक्रम मिश्र, लखनऊ. मायावती बसपा के लगातार गिरते ग्राफ को लेकर चिंतित हैं. तमाम नेताओं को अपनी मीटिंग के जरिए नाराज़गी भी व्यक्त कर चुकी हैं. आलम ये है कि यूपी में जहां सत्ता के शीर्ष पर रही बसपा आज विधानसभा में 1 सीट पर सिमट कर रह गई है. ऐसे में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में पुनः वापसी करवाने के बाद ही रोजगार और कैंपस सलेक्शन को लेकर युवाओं को अपनी विचारधारा से जोड़ने की मुहिम छेड़ दी है. अब अगले पड़ाव में बसपा प्रमुख मायावती 16 अप्रैल को बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों कि बैठक लेंगी. जिसका प्रमुख मुद्दा होगा बसपा के गिरते जनाधार को बढ़ाने की क्या रणनीति होगी.

युवाओं को जोड़ने पर होगा ध्यान
बसपा के वोटर्स पर सभी सियासी दलों का ध्यान है और उन पर ध्यान जाना भी लाजमी है. कभी यूपी में एक दौर था कि बसपा के टिकट पर उतरे प्रत्याशी को बहुजन वोट मिलना तय माना जाता था. लेकिन अब वो दौर गुजरे जमाने के बात मानी जाती है. अब जाटव और अन्य दलित वोटर अलग-अलग पार्टी का रुख कर चुके हैं. ऐसे में आकाश आनंद को युवाओं को पार्टी में जोड़ने की महती जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. साथ ही साथ जोनल कोऑर्डिनेटर्स को, वरिष्ठ और पुराने दलित नेताओं को बसपा में पुनः वापसी करवाने पर भी विचार करने को कहा गया है.
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रावण से खतरा
बहुजन समाज पार्टी के सिमटने का फायदा आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना सांसद को मिलता दिखता है. बसपा के सामने कभी खड़ी न होने का हैसियत रखने वाला दल आज पश्चिम में मजबूत दखल रखता है. इसलिए आकाश आनंद को पार्टी की रीति नीति से युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
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