कुमार इंदर, जबलपुर। फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एवं न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह है पूरा मामला

दरअसल, ये याचिका सतना निवासी राजेश कुमार गौतम की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि अनावेदक श्याम लाल, सुंदर लाल, प्यारे लाल, राम प्रकाश व राम चरण बिरसिंहपुर तहसील स्थित शासकीय मिडिल स्कूल में तृतीय वर्ग के पद पर पदस्थ हैं। पांचों शिक्षाकर्मी केवट समुदाय से हैं, जो ओबीसी वर्ग में आता है। स्कूल शिक्षा के दौरान सभी ने ओबीसी वर्ग की स्कॉलरशिप भी प्राप्त की थी। इसके बाद सभी ने एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र बनाकर नौकरी हासिल की। 

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बता दें कि इस संबंध में पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे, जिसमें जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। स्कूल शिक्षा विभाग, जिला कलेक्टर तथा जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन आदेश के बावजूद अनावेदकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और वे अब भी स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। इसी कारण यह याचिका दायर की गई है।

कलेक्टर एसपी समेत इन्हें भेजा नोटिस

आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने पर याचिका में सचिव सामान्य प्रशासन विभाग,कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक,जिला शिक्षा अधिकारी,थाना प्रभारी बिरसिंहपुर व पांच शिक्षा कर्मी को अनावेदक बनाकर नोटिस भेज जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संतोष कुमार पाठक ने पैरवी की। इस मामले में अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी। 

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