मुकेश मेहता, बुधनी। आज विश्व धरोहर दिवस है। हर साल इसे 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मकसद विश्वभर की एतिहासिक इमारतों, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना है। मध्यप्रदेश में कई तरह की प्राचीन और ऐतिहासक इमारतें हैं, जिनका इतिहास बेहद ही खास है। लेकिन क्या आप प्रकृति की गोद में बैठी प्राचीन गुफाएं के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं।
कहां हैं प्रकृति की गोद में हैं प्राचीन गुफाएं?
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की बुधनी तहसली के पान गुराडिया के पास ‘सारू-मारू गुफाएं’ हैं। यह जगह एक प्राचीन मठ परिसर और बौद्ध गुफाओं का पुरातात्विक स्थल है। जो तथागत गौतम बुद्ध के शिष्य मौद्गल्यायन और सारिपुत्र के समय की हैं। यहीं पर सम्राट अशोक का पांचवा शिलालेख मौजूद है। इस स्थल में कई स्तूपों के साथ-साथ भिक्षुओं के लिए प्राकृतिक गुफाएं भी हैं। गुफाओं में कई बौद्ध भित्तिचित्र (स्वस्तिक, त्रिरत्न, कलश) पाए गए हैं।

पाए गए अशोक के दो शिलालेख
मुख्य गुफा में अशोक के दो शिलालेख पाए गए थे, जो अशोक के संपादकों में से एक हैं। इसमें से एक शिलालेख में अशोक के पुत्र महेंद्र की यात्रा का उल्लेख है। अन्य शिलालेख के अनुसार सम्राट अशोक जब विदिशा में निवास करते थे, उस समय उनके द्वारा इस स्थल की यात्रा की गई थी। सम्राट अशोक के राज्यकाल के पहले की गुफाएं व स्तूप हैं। यहां सम्राट अशोक सम्राट बनने के बाद आए थे। जिसके शिलालेख सांची में सुरक्षित रखे गए हैं। बुधनी का बुद्धकाल में बुद्धनगरी था। बुधनी के पास तालपुरा नामक स्थान पर भी बुद्ध के स्तूप निर्मित हैं। लगभग 50 एकड़ में फैली इसी पहाड़ी में शैल चित्र एवं 25 से अधिक बौद्ध स्तूप हैं। जिनका रख-रखाव और संरक्षण राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग किया जाता है।

किसने की थी उसकी खोज
सन 1976 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसकी खोज की थी। जिसमें उन्हें यहां स्तूपों के साथ बौद्ध भिक्षुओं की प्राकृतिक गुफाएं भी मिली। इन गुफाओं में कई चित्र, स्वास्तिक, कलश, त्रिरत्न पाए गए हैं। इसके साथ ही मुख्य गुफा में सम्राट अशोक के 2 शिलालेख पाए गए हैं।

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