बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे(Nishikant Dubey) के सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) पर किए गए बयान ने विवाद उत्पन्न कर दिया है. सोमवार को दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें वकील ने कहा कि इस अदालत और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ बयान दिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में निशिकांत दुबे के बयानों का जिक्र किया गया. इस पर जस्टिस बीआर गवई ने प्रश्न किया कि आपकी क्या इच्छा है? वकील ने उत्तर दिया कि वह अवमानना का मामला दर्ज कराना चाहते हैं. जस्टिस गवई ने स्पष्ट रूप से कहा कि आप इसे दाखिल कर सकते हैं, इसके लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी होगी.
इससे पूर्व, अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा ने CJI और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को एक पत्र भेजा था, जिसमें निशिकांत के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई थी. पत्र में उल्लेख किया गया था कि दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दिए गए सार्वजनिक बयान अपमानजनक और भड़काऊ हैं. इन बयानों को झूठा, लापरवाह और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है, जो आपराधिक अवमानना के समान हैं. यह आरोप लगाया गया कि ये बयान न्यायपालिका को डराने, सार्वजनिक अव्यवस्था को भड़काने और संविधान की रक्षा करने वाली संस्था की छवि को धूमिल करने का जानबूझकर प्रयास हैं. पत्र में CJI से अनुरोध किया गया था कि वे इन बयानों का स्वतः संज्ञान लें और आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करें.
क्या कहा था निशिकांत दुबे ने?
निशिकांत दुबे ने 19 अप्रैल, 2025 को मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि अदालतें कानून बनाने लगेंगी, तो संसद का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट देश में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर रहा है. दुबे ने आगे कहा, “मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा” – यह अब सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली बन गई है. उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया.
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