राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में आज मुस्लिम संगठनों द्वारा ‘वक्फ बचाव अभियान’ के अंतर्गत दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसमें जमात-ए-इस्लामी हिंद सहित कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों के अध्यक्ष और प्रतिनिधि उपस्थित होंगे. इसके अलावा, विपक्ष के नेता असदुद्दीन ओवैसी, RJD सांसद मनोज झा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और SP सांसद मोहिबुल्लाह नदवी भी इस कार्यक्रम शामिल होंगे.

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AIMPLB का ‘वक्फ बचाव अभियान’ 11 अप्रैल से प्रारंभ होकर 7 जुलाई तक, कुल 87 दिनों तक चलेगा. इस अभियान के तहत वक्फ कानून के खिलाफ 1 करोड़ हस्ताक्षर एकत्रित किए जाएंगे, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी को भेजा जाएगा. इसके पश्चात, अगले चरण की योजना बनाई जाएगी. सोमवार को जमात-ए-इस्लामी हिंद ने नए वक्फ कानून को तुरंत रद्द करने की मांग की और लोगों से अनुरोध किया कि वे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में इस कानून के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करें.

जमात-ए-इस्लामी ने पारित किए अहम प्रस्ताव

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए बताया कि मुस्लिम संगठन के प्रतिनिधियों की परिषद ने अपने अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी की अगुवाई में 12-15 अप्रैल के बीच संगठन के मुख्यालय में आयोजित सत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी.

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जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ कानून को तुरंत निरस्त करने की मांग की और लोगों से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करने की अपील की. इसने लोकतांत्रिक संस्थाओं, नागरिक समाज और बुद्धिजीवियों से संशोधित वक्फ कानून के प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने का अनुरोध किया. परिषद ने उन सांसदों और संगठनों की सराहना की, जिन्होंने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं.

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के खिलाफ सख्त موقف अपनाया है और इसे अस्वीकार किया है. संगठन का कहना है कि यह धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानूनों के पालन के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. परिषद ने उत्तराखंड में यूसीसी कानून को रद्द करने और गुजरात में इसी प्रकार के प्रयासों को रोकने की अपील की है.

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मामला सुप्रीम कोर्ट में

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा, और इस अवधि के दौरान केंद्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्तियां नहीं की जाएंगी. यह निर्णय उन याचिकाओं के संदर्भ में लिया गया है जो संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई हैं.

जानिए वक्फ का मतलब

वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है दान करना. जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से घर, भूमि या धन को धार्मिक उद्देश्यों जैसे मस्जिद, स्कूल या अस्पताल के लिए समर्पित करता है, तो इसे वक्फ कहा जाता है. इस प्रक्रिया के बाद, वह व्यक्ति उस संपत्ति का मालिक नहीं रहता, बल्कि वह संपत्ति अल्लाह की हो जाती है.

क्या है नए बिल में?

नए विधेयक के अनुसार, संपत्ति के मालिक को ट्रिब्यूनल के अलावा राजस्व न्यायालय, सिविल कोर्ट या अन्य उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार होगा. वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी. जब तक किसी ने संपत्ति को वक्फ को दान नहीं किया है, तब तक वह वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी, चाहे उस पर मस्जिद का निर्माण क्यों न हुआ हो. वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं और दो अन्य धर्म के सदस्य भी शामिल किए जा सकेंगे.