विक्रम मिश्र, लखनऊ. यू तो उत्तर प्रदेश की राजधानी का मलिहाबाद का इलाका आम के लिए मशहूर है, जबकि यहां के दशहरी आम देश ही नहीं विदेशियों के जुबान पर भी अपनी मिठास छोड़ते हैं. बात करें लखनवा देसी आम की तो इसको कुछ लोग दशहरी के नाम से जानते हैं, लेकिन राष्ट्रीय पुरष्कार विजेता एससी शुक्ल की मानें तो दशहरी प्रजाति लखनऊ की ही ईजाद की हुई है. लेकिन इसके पहले लखनवा देसी चखना बहुत खास एहसास देता है.
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बता दें कि ये प्रजाति बेहतर रखरखाव नहीं होने के कारण अब विलुप्त हो रही है, लेकिन जिनके पास इसके बाग हैं. वहां से ये आम विदेशों में भेजे जाते हैं. आम की प्रजाति की बात करें तो चौसा, दशहरी के बीच अमेरिका टामी एटकिन्स, पैरी, ओस्टीन हो या श्रीलंका का मैगीफेरा, आस्ट्रेलिया का कालिग्टन प्राइड जैसे आम के नाम सुनकर चौंक जाएंगे और ये सभी प्रजाति लखनऊ में उपलब्ध है. लेकिन लखनऊ के अपना खास दशहरी आम तो वैसे पूरी दुनिया में विख्यात है और इस आम के प्रेमी किसी और आम की तरफ नज़र भी नहीं उठाते हैं.
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आम के लिए दिया जाता है प्रशिक्षण
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आम उत्पादकों को समय समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है. आम उत्पादक रईस अंसारी बताते हैं कि दशहरी आम के बगीचे उनके रहमान खेड़ा स्थित गांव में भी हैं. जहां पर एक ही पेड़ से कई नस्ल के आम की पैदावार होती है. इसमें एक किस्म अमेरिकन ताकिन होती है, जिसको बारह महीने पैदा किया जाता है और इसकी खास डिमांड बैंकॉक, सऊदी अरब और अन्य खड़ी देशों में होती है. लखनऊ के रहने वाले एसएन शुक्ला फल उत्पादकों के लिए जागरुकता अभियान भी चलाते हैं. उनके मुताबिक आम के बगीचे को मल्टी फार्मिंग बनाने के लिए काश्तकारों और किसानों को उनके और उनकी टीम के द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है.
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देशी-विदेशी आम की 352 किस्में
अंगूरदाना, पैरी, ओस्टीन, नूरी, कैरावाऊ, केन्ट, हैडेन, टामी एटकिन्स, तोतापरी, सेंशेसन, गुलाब खास, करा गोला, अंबिका, अरुनिका, प्रतिभा, केसर, अल्फांजे, वैगन पतली, लालिमा, सूर्या, सीपिया, नीलम, आम्रपाली, मल्लिका, लंबोदर, हाथी झूल, पपीतियो, वेनेशा, मलगोवा, कृष्णभोग, रामपुर, उन्नावी गोली, सफेदा जौहरी, केसर जैसी देश विदेश की 352 प्रजातियां लखनऊ में मिल जाएंगी.
कहां-कहां है लखनऊ के आम के दीवाने
अमेरिका, बैंकॉक, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, सऊदी अरब के साथ अन्य खाड़ी देशों में भी लखनऊ के आमों की सप्लाई दी जाती है.
रहमान खेड़ा स्थित गोदामों में सालों तक भरे रहते हैं आम
लखनऊ के मलिहाबाद इलाके के रहमान खेड़ा गांव में आम की खास नस्लों को सहेजने के लिए नर्सरी और शीत गोदाम सरकार के द्वारा बनाए गए हैं, जिसमें की आम उत्पादकों के लिए समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जबकि, आम के उत्पादन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए शीत गोदामों की भी व्यवस्था दी जाती हैं.
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