जयपुर: राजस्थान के बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री महेश जोशी को गिरफ्तार कर लिया है. 900 करोड़ रुपये के इस घोटाले में जोशी से 8 घंटे की गहन पूछताछ के बाद ED ने यह कदम उठाया. जोशी को कई बार समन जारी होने के बावजूद पेश न होने के कारण ED का शिकंजा कसता गया, जिसके बाद वे आज अपने निजी सहायक के साथ ED कार्यालय पहुंचे थे.

फर्जी टेंडर और मोटी कमाई का खेल

जांच में सामने आया है कि श्री गणपति ट्यूबवेल और श्री श्याम ट्यूबवेल जैसी कंपनियों ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के जरिए करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए. श्री गणपति ने 68 निविदाओं में से 31 जीतकर 859 करोड़ रुपये का काम हासिल किया, जबकि श्री श्याम ट्यूबवेल ने 73 टेंडरों से 120 करोड़ रुपये की कमाई की. ED का आरोप है कि यह सब बिना ऊपरी संरक्षण के संभव नहीं था, और इस खेल में महेश जोशी का नाम प्रमुखता से उभरा है.

संजय बड़ाया: जोशी का ‘राइट हैंड’

ED की जांच में खुलासा हुआ कि जोशी का करीबी संजय बड़ाया इस घोटाले का अहम किरदार है. ED की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ाया जोशी के इशारे पर टेंडर, ट्रांसफर और पोस्टिंग जैसे कामों को अंजाम देता था. PHED के कार्यकारी अभियंता विशाल सक्सेना ने अपने बयान में बताया कि जोशी ने उन्हें बड़ाया और एक अन्य अभियंता संजय अग्रवाल से मिलने को कहा था. इसके बाद सक्सेना को गणपति ट्यूबवेल के फर्जी सर्टिफिकेट्स की सकारात्मक सत्यापन रिपोर्ट तैयार करने का दबाव बनाया गया.

घूसखोरी का भी आरोप

ED ने पाया कि बड़ाया ने कई ठेकेदारों से घूस लेकर टेंडर हासिल करने में मदद की, और यह सब जोशी के लिए किया गया. जांच में कई कर्मचारियों ने भी बड़ाया की जोशी से नजदीकी और उसकी विभागीय गतिविधियों में भूमिका की पुष्टि की है. ED ने इससे पहले ठेकेदार पदमचंद जैन, पीयूष जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया को भी गिरफ्तार किया था.

जल जीवन मिशन का सपना अधूरा

जल जीवन मिशन, जिसका लक्ष्य 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से 55 लीटर पानी प्रतिदिन पहुंचाना था, का कुल बजट 3.6 लाख करोड़ रुपये था. इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 58% थी. लेकिन इस घोटाले ने योजना की साख पर सवाल उठा दिए हैं. जांच से पता चलता है कि यह फर्जीवाड़ा केवल ठेकेदारों तक सीमित नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर बैठे लोगों की मिलीभगत का नतीजा है.