रायपुर। प्रदेश का निर्माण हुए 18 साल बीत चुके हैं. इन 18 सालों में शुरुआती के तीन साल कांग्रेस और उसके बाद लगातार 15 साल भाजपा ने शासन किया है लेकिन आज भी लोगों की बुनियादी समस्याएं जस की तस है. इन बुनियादी समस्याओं में एक समस्या पेजयल की भी है. गर्मी का मौसम आते ही प्रदेश भर से पानी की समस्या की खबरें आनी शुरु हो जाती है. गर्मी में इंसानों की हालत मवेशियों सी हो जाती है बल्कि उनसे भी बुरी हो जाती है. कई जगहों में तो लोग झरिया का पानी (रेत खनकर उसके अंदर का पानी), कहीं पहाड़ों से रिश्ते एक-एक बूंद को इकट्ठा कर प्यास बुझाई जाती है तो कहीं तालाब का गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है.
ऐसी ही एक खबर बलरामपुर जिले के चरचरी गांव से आ रही है. यहां रहने वाले ग्रामीणों को और मवेशियों को एक ही तालाब का पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. तालाब का गंदा पानी पीने से महामारी फैलने का भी खतरा बढ़ गया है. 150 के आस-पास की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. गांव राप्ती नदी के किनारे बसा है लेकिन गर्मी के पहले ही नदी पूरी तरह से सूख चुकी थी. गर्मी आते-आते अन्य जल स्त्रोतों का भी हाल नदी की तरह हो गया. मात्र एक तालाब बचा जहां पहले मवेशी पानी पीते थे वहां अब साथ में ग्रामीण भी पानी भरकर पीने के लिए ले जा रहे हैं.
जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक गांव के सरपंच ने पानी की समस्या और ग्रामीणों द्वारा तालाब का पानी पीने की जानकारी स्थानीय अधिकारियों की दी है लेकिन अभी किसी ने भी सुध नहीं ली है.