Rajasthan News: जयपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर शुक्रवार को ‘विकसित राजस्थान-2047’ विजन डॉक्यूमेंट को लेकर उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत-2047 के लक्ष्य में राजस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा, “हम राज्य को 2047 तक पूरी तरह विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसमें प्रदेश की 8 करोड़ जनता की भागीदारी भी जरूरी है।”

14 सेक्टर्स में बंटे 45 विभाग

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के 45 प्रमुख विभागों को 14 सेक्टर्स में विभाजित कर रोडमैप तैयार किया गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी बनाई गई है, जो इस विजन डॉक्यूमेंट की निगरानी करेगी। नीति आयोग से सुझाव लेकर इसे अंतिम रूप दिया गया है।

बजट 2024-25 बना था विकास के 10 संकल्पों का आधार

सीएम शर्मा ने कहा कि राज्य बजट 2024-25 के दौरान प्रस्तुत 10 संकल्पों को ‘विकसित राजस्थान-2047’ की रूपरेखा का आधार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी बजट भी इस विजन को दर्शाएंगे। “हमें 2047 के लिए प्राथमिकताएं तय कर 2030 तक चरणबद्ध रोडमैप के साथ आगे बढ़ना होगा।”

गांव से शहरों की ओर पलायन पर रोक की जरूरत

मुख्यमंत्री ने ग्रामीण और शहरी विकास में संतुलन की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, सड़क और रोजगार जैसी सुविधाओं को गांवों में सुदृढ़ करना होगा ताकि शहरी क्षेत्रों पर बढ़ता दबाव कम किया जा सके।

सार्वजनिक परिवहन और खनिज आधारित उद्योगों पर फोकस

शर्मा ने बदलती जनसंख्या और ट्रैफिक दबाव को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने सुझाव दिया कि खनिज आधारित उद्योगों को खनन क्षेत्र के नजदीक स्थापित कर परिवहन लागत और प्रदूषण दोनों को कम किया जा सकता है।

पर्यटन को बनाया जाएगा रोजगार और विकास का जरिया

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। शेखावाटी की हवेलियों को विकसित कर इसे प्रमुख पर्यटन केंद्र बनाने का निर्देश दिया। साथ ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होटल व रिसॉर्ट की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया।

जल संरक्षण प्राथमिकता, पीएचईडी से संबंधित लक्ष्यों की समीक्षा

सीएम शर्मा ने पानी को लेकर कहा कि प्रकृति पर पूरी तरह निर्भरता के चलते इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्षाजल का प्रबंधन, वाटर रिचार्ज और सीवरेज के ट्रीटेड पानी के उपयोग जैसे उपायों को अपनाना होगा। उन्होंने ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ जैसे अभियानों को प्रोत्साहित करने की बात भी कही।

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