नई दिल्ली। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने शनिवार को पहलगाम आतंकी हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है. हालांकि, उसने शुरुआत में इसकी जिम्मेदारी ली थी, अब जब घाटी में कश्मीरियों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, उसने अपनी भूमिका से इंकार किया है.
गृह मंत्रालय ने आतंकवाद को बढ़ावा देने, आतंकवादियों की भर्ती करने, घुसपैठ में मदद करने और 2023 में पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत टीआरएफ को एक “आतंकवादी संगठन” घोषित किया है.
आतंकी संगठन ने एक बयान में कहा, “टीआरएफ पहलगाम घटना में अपनी किसी भी संलिप्तता से साफ इनकार करता है. इस कृत्य के लिए टीआरएफ को जिम्मेदार ठहराना गलत और जल्दबाजी में किया गया कदम है.” आतंकी संगठन ने आगे कहा कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद उनके एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से जिम्मेदारी लेते हुए एक “अनधिकृत” संदेश पोस्ट किया गया था.

संगठन की ओर से कहा, “आंतरिक ऑडिट के बाद, हमारे पास यह मानने का कारण है कि यह एक समन्वित साइबर घुसपैठ का परिणाम था. हम उल्लंघन का पता लगाने के लिए पूरी जांच कर रहे हैं, और शुरुआती संकेतों से भारतीय साइबर-खुफिया संचालकों के फिंगरप्रिंट का पता चलता है.” इसके साथ TRF ने एक ऑडियो क्लिप भी जारी किया है, जिसमें अपने इनकार को दोहराया और उसी कहानी को आगे बढ़ाया.
TRF द्वारा पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान और उसके द्वारा समर्थित आतंकवादी समूहों के प्रति अपना गुस्सा व्यक्त किया.