हेमंत शर्मा, इंदौर। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान के तहत मध्य प्रदेश के इंदौर में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। जिसमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सामाजिक न्याय, राजनीतिक ईमानदारी और संविधान के मूल्यों को लेकर कई तीखे और भावुक बयान दिए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सच्चाई से बोलता है, वही सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार होता है। यही बाबा साहेब के जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई भी रही। वहीं मंच पर मौजूद बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य गणमान्यजनों को संबोधित करते हुए राजे ने कहा कि इंदौर उनकी यादों से जुड़ा है और यहां आकर हमेशा एक अपनापन महसूस होता है।

बाबा साहेब के योगदान को किया याद, कांग्रेस पर हमला

वसुंधरा राजे ने अपने भाषण की शुरुआत बाबा साहेब अंबेडकर के संघर्षों को याद करते हुए की। उन्होंने कहा कि ‘बाबा साहेब को कांग्रेस ने कभी वह सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। उन्हें एक वर्ग विशेष का नेता बताकर दरकिनार किया गया, जबकि उन्होंने पूरे देश के लिए संविधान बनाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। अगर आप संविधान को पढ़ें, तो आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों की गहराई समझ आएगी।’

‘भगवान किसी एक वर्ग का नहीं होता’ – समाजिक समरसता पर जोर

राजे ने मंच से बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि ‘क्या भगवान किसी एक जाति या वर्ग के लिए होते हैं ? नहीं। भगवान हम सभी के होते हैं।’ उन्होंने यह बात सामाजिक भेदभाव पर प्रहार करते हुए कही और बाबा साहेब के मंदिर प्रवेश आंदोलन की याद दिलाई।

पहलगाम हमले का जिक्र, पीड़ितों को दी श्रद्धांजलि

पूर्व सीएम वसुंधरा ने हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए इंदौर निवासी सुशील नथानियल को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि ‘एक इंसान ने सिर्फ यह कहा कि वह क्रिश्चियन है, और उसे मार डाला गया। यह अमानवीयता की हद है।’

राजनीति में धैर्य और संघर्ष की सीख

उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि राजनीति सेवा का माध्यम है, पद की भूख नहीं। बाबा साहेब ने कभी किसी से पद की मांग नहीं की। उन्होंने अपने संघर्ष और योग्यता से खुद को सिद्ध किया।

कांग्रेस ने बाबा साहेब को कमजोर करने की कोशिश की थी

वसुंधरा राजे ने खुलासा किया कि 1952 और 1954 के चुनावों में कांग्रेस ने बाबा साहेब को हराने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वह अपने विचारों और सच्चाई के बल पर हर बार मजबूती से खड़े रहे। उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा इसलिए दिया क्यों कि वहां गरीबों की बात नहीं सुनी जा रही थी।

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