कुंदन कुमार, पटना. मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद आईएएस अधिकारी संजीव हंस की मुश्किलें और बढ़ने वाली है. ईडी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से अनुकूल फैसला दिलवाने के लिए हंस ने मुंबई की एक रियलिटी फॉर्म आरएनए कॉर्प से एक करोड़ की रिश्वत ली थी.
2014 से 2019 तक थे निजी सचिव
एजेंसी ने यह आरोप संजीव हंस के मित्र विपुल बंसल के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर लगाया है, तब बंसल उस फॉर्म में कार्यरत थे और इसमें बिचौलिए की भूमिका निभा रहे थे. संजीव हंस 3 जुलाई 2014 से 30 में 2019 तक रामविलास पासवान की निजी सचिव थे.
ईडी के अनुसार बंसल राना उस समय कोर्ट से पैरोल पर थे. उन्होंने हंस और फॉर्म के प्रमोटर अनुभव अग्रवाल के बीच बैठक करवाई थी, ताकि अनुकूल फैसला आए और गिरफ्तारी न हो. हंस ने 1 करोड रुपए लिए और पैसा हंस के करीबी सादद खान के माध्यम से उन तक पहुंचा.
पिछले साल हुई थी हंस की गिरफ्तारी
आपको बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी संजीव हंस अभी जेल में बंद हैं. संजीव हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का केस पटना के ईडी कोर्ट में चल रहा है. हालही में उन्होंने जमानत याचिका दायर की थी, जिसे ईडी की कोर्ट ने निरस्त कर दिया था.
संजीव हंस की गिरफ्तारी पिछले साल 18 अक्टूबर को हुई थी. मामले में संजीव हंस के साथ-साथ पूर्व विधायक गुलाब यादव समेत अन्य के खिलाफ ईडी ने 20,000 पन्नों की पहली चार्जशीट 16 दिसंबर 2024 को दायर की थी. अब तक इस मामले में कुल 16 लोग नामजद किए गए हैं.
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