कुंदन कुमार/पटना: केंद्र सरकार की तरफ से जातिगत जनगणना को हरी झंडी दिखाने के बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. पक्ष या फिर विपक्ष सभी दलों के नेताओं के एक एक कर के बयान सामने आ रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि यह हमारी पुरानी मांग थी. उन्होंने यह बातें बुधवार की शाम को केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराए जाने का निर्णय लिए जाने के बाद कही.

‘लालू प्रसाद ने राजभवन मार्च किया था’

वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू प्रसाद ने 1996 से यह मांग की थी कि देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि जब केंद्र में हमारी सरकार थी, तो हमने निर्णय लिया था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने नहीं माना. इसके लिए लालू प्रसाद ने राजभवन मार्च भी किया था.

’24 घंटे में ही हमारी बात मान लिए’

आगे तेजस्वी यादव ने कहा कि 2018, 2019 और 2023 में बिहार विधानसभा में जातिगत जनगणना को लेकर प्रस्ताव पास हुआ था. इसके बाद हमने पीएम से मुलाकात भी की थी. उनको सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने हमारे सुझाव को नकार दिया था. हमने नीतीश कुमार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था. हमने कहा था कि अगर इतने घंटे में काम नहीं हुआ, तो आंदोलन करेंगे, लेकिन वो 24 घंटे में ही हमारी बात मान लिए. बिहार में महागठबंधन की सरकार थी, बिहार में जातिगत सर्वे कराया.

‘यह विश्लेषण का विषय है’

तेजस्वी का यह भी कहना था कि पहले पीएम कहते थे कि यह लोग सामाजिक विद्वेष फैलाना चाहते है, लेकिन अब सही बताये कि क्या हुआ? जो घोषणा करनी पड़ी. हमारी जो ताकत थी, वही हुआ. हालांकि तेजस्वी का यह भी कहना था कि यह विश्लेषण का विषय है कि इस घोषणा का बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से क्या संबंध है? यह समाजवादी नेताओं, हमारे पुरखों की जीत है. हमारे एजेंडे पर ही बीजेपी और एनडीए चल रही है.

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