शशांक द्विवेदी, खजुराहो (छतरपुर). स्वास्थ्य विभाग की टीम झोलाछाप डॉक्टरों ने पर लगाम करने में नाकामयाब दिखाई दे रही है. अगर टीम ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करती, तो एक महिला की जान न जाती. हद तो तब हो गई जब मृतिका के परिजनों को शव वाहन नहीं मिला. मजबूरन उन्हें ऑटो में शव को ले जाना पड़ा.
यह मामला राजनगर जनदप के बमीठा थाना क्षेत्र का है. दरअसल, मंगलवार रात 55 वर्षीय शांतिबाई को इलाज के लिए परिजन एक प्राइवेट क्लिनिक लेकर पहुंचे थे. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. परिजनों ने क्लिनिक संचालक पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है. जबकि डॉक्टर ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है और गलत ट्रीटमेंट किए जाने से इनकार भी किया है.
सिस्टम से सवाल
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोलकर रख दी है. क्या सीएमएचओ साहब प्राइवेट क्लिनिकों का निरीक्षण नहीं करते? सवाल तो यह भी कही जिम्मेदार को कोई कमीशन तो नहीं जाती? आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है? स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार और क्लिनिक चलाने वाला डॉक्टर? आखिर क्यों विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोई एक्शन नहीं लेते? क्या वो और मौत का इंतजार कर रहे हैं?
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