Bihar News: जातीय जनगणना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने इसे देश के वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने कहा कि लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग की जा रही थी, जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हकीकत में बदल दिया है. यह निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. प्रधानमंत्री के इस फैसले के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं.

परिसीमन की मांग तेज

उपेंद्र कुशवाहा ने जातीय जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन की भी मांग की. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार जनगणना के बाद आबादी के अनुपात में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्गठन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1976 में आपातकाल के दौरान इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी, जिसे 2001 में फिर 2026 तक बढ़ा दिया गया. अब समय आ गया है कि संविधान के मूल प्रावधानों के तहत नए सिरे से परिसीमन हो.

सीटों में होगी वृद्धि 

कुशवाहा ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर अगर परिसीमन होता है, तो बिहार की लोकसभा सीटों की संख्या 40 से बढ़कर 60 हो सकती है और विधानसभा सीटों में भी वृद्धि होगी. उन्होंने बताया कि बिहार जैसे राज्यों में एक सांसद लगभग 30 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि कुछ अन्य राज्यों में यह संख्या केवल 10 लाख के आसपास है. उन्होंने कहा कि यह असमानता बिहार और अन्य पिछड़े राज्यों के साथ न्याय नहीं है.

रैली की शुरुआत

उपेंद्र कुशवाहा ने घोषणा की कि संवैधानिक अधिकारों और परिसीमन सुधार के समर्थन में उनकी पार्टी 25 मई को रोहतास जिले के बिक्रमगंज में एक बड़ी रैली आयोजित करेगी. इसके बाद विभिन्न जिलों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि दक्षिण के कुछ नेता नए परिसीमन का विरोध कर रहे हैं, जो कि बिहार जैसे राज्यों के खिलाफ है. अब हम इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे और लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों के लिए जागरूक बनाएंगे.

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