कर्ण मिश्रा, ग्वालियर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के ग्वालियर खंडपीठ ने बेशकीमती जमीन से जुड़े मामले में दायर की गई याचिका को खारिज किया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि मामले में नोटिस की तामील से लेकर झूठी रिपोर्ट पेश करने सहित कदम-कदम पर फर्जीवाड़ा किया गया था.

दरअसल, इस मामले में शासन की ओर से पेश किए गए दस्तावेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. शिवसिंह टेमक नाम के व्यक्ति की मौत 18 दिसंबर 1982 को हो गई थी. मौत के 29 साल बाद यानी साल 2011 में मध्य प्रदेश शासन ने मृतक शिवसिंह के खिलाफ मरी माता मंदिर फूलबाग रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित जमीन के मामले में केस लगाया था. जिला कोर्ट ग्वालियर में 2019 में शासन केस हार गया. ऐसी स्थिति में 2020 में हाईकोर्ट में फर्स्ट अपील दायर की गई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जब दस्तावेजों का परीक्षण शुरू किया तो खुलासा हुआ कि मध्य प्रदेश शासन ने मृत व्यक्ति के खिलाफ केस लगाया. जिसे आधार बनाकर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन की अपील को खारिज कर दिया.

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मामले में चौंकाने वाली बात यह भी रही की शासन ने जो दस्तावेज बताए थे, उसके तहत अक्टूबर 2011 में यह दावा पेश हुआ था और नवंबर 2011 को शिव सिंह को नोटिस की तमील की गई थी. पंचनामे में लिखा गया कि पत्नी अंजू घर पर मिली थी. पति और अंजू साथ में रहते हैं. लेकिन अभी घर पर नहीं हैं. जबकि रिकॉर्ड के अनुसार, शिव सिंह की पत्नी का नाम अंजू नहीं बल्कि उमा था. जिसकी मौत 16 मई 1992 में ही हो गई थी. शिव सिंह की मौत 1982 में हुई थी और 12 मई 2016 में उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया था. ऐसे में नोटिस की तामील, जिस कर्मचारी ने की उसने झूठी रिपोर्ट तैयार की थी.

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