पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के वन अधिकारी ओडिशा से तेंदूपत्ता खपने की बात को सिरे से खारिज करते हैं, उधर सीमा पर ओडिशा के अफसरों ने मेटाडोर से छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती फड़ों में खपाने के लिए लाए जा रहे 110 बोरा तेंदूपत्ता जब्त किया है. तेंदूपत्ता की कीमत ओडिशा में एक से डेढ़ लाख रुपए है, लेकिन छत्तीसगढ़ के फड़ में खप जाता तो सरकार को 4 लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान करना पड़ता.

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छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती फड़ों में बिचौलिए ही नहीं, बल्कि बड़े सिंडिकेट भी बड़े पैमाने पर ओडिशा का तेंदूपत्ता खपाते हैं, हमने इसका दावा अपने खबर में पहले से कर दिया था, अब इसकी पुष्टि भी हो गई. बीती रात सीमा से महज 10 किमी दूरी पर कालाहांडी के धर्मगढ़ रेंज में ग्रामीणों ने शुक्रवार की शाम को बडकेंदुगुड़ा के पास सूखे तेंदू पत्ते से भरा एक मेटाडोर को पकड़ा.

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में पंजीकृत मेटाडोर (सीजी 04 जेडी 3319) सीमा से लगे फड़ में पत्तों की एंट्री कराने लेकर आ रहा था. वाहन रोकने के बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दिया, जिसके बाद कालाहांडी पश्चिम डिविजन के एसडीओ ओंकार दास, धर्मगढ़ रेंज के रेंजर भवानी कुंअर के साथ अमला को लेकर जब तक मौके पर पहुंचते, तब तक मेटोडोर चालक फरार हो गया था. वाहन के साथ वाहन में लोड 110 बोरी तेंदूपत्ता को जब्त कर लिया.

रेंजर भवानी कुंअर ने घटना की पुष्टि करते हुए मीडिया को बताया कि मौके से चालक भाग गया है. हेल्पर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. जब्त तेंदूपत्ता लडू गांव रेंज के एक गांव से लाया जा रहा था. रेंजर ने कहा कि वाहन में कोई भी वैधानिक दस्तावेज नहीं थे, लेकिन आरंभिक पूछताछ में हेल्पर ने पत्ता छत्तीसगढ़ के देवभोग रेंज इलाके में ले जाना बताया है, जिसकी उचित जांच कर नियम के मुताबिक कार्रवाई करते हुए न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा.

बड़ा सिंडिकेट कर रहा काम

मेटाडोर की जांच के दौरान पीपलझापर ग्राम पंचायत का एक प्रस्ताव मिला, जिसमे पंचायत की सर्वसम्मति से सूखा हुआ तेंदूपत्ता देवभोग रेंज के समिति में ले जाने का जिक्र है. वन अमला ने इस पत्र को लेकर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक अफसर इसका खुलासा नहीं किए हैं कि जब्त पत्ता किसके द्वारा, कहां ले जाया जा रहा था. पड़ोसी राज्य से संबंध रखने वाले स्थानीय लघु वनोपज संस्थान में बड़े पदाधिकारी हैं, जो स्थानीय प्रशासन से साठ-गांठ कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं.

सूत्र बताते हैं कि जिस सूखे पत्ते की सप्लाई हो रही थी, उसकी एंट्री संग्राहक के खाते में पहले से ही खरीदी बताकर एंट्री कर दिया गया है. झाखरपारा समिति ने खरीदी के 4 दिन बाद भी कितनी खरीदी किया है, इसकी जानकारी वन विभाग शुक्रवार की रात तक तक नहीं दे पाया था. हैरानी की बात है कि प्रदेश में भारी मात्रा में बड़े पैमाने पर खपाने आ रहे तेंदूपत्ते की जानकारी देवभोग रेंज के अफसरों को कार्रवाई के 20 घंटे बाद भी नहीं थी.

तो पांच गुना भुगतान करना पड़ता सरकार को

छोटे बिचौलिए सीधे संग्राहक को बेच रहे पर बोगस खरीदी के बड़े कड़ी संग्राहकों के कार्ड के आड़ बड़ा खेल खेल रहे हैं. छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बड़े बारदाने में सूखे पत्ता भरा गया था. 110 बड़े बोरे में लगभग 90 मानक बोरा तेंदू पत्ता भरा था, जिसकी कीमत ओडिशा में एक से सवा लाख की थी. यही अगर यहां के फड़ों में संग्राहकों के नाम विक्रय दिखाने में सफल हो गए होते तो इसके एवज में 4 लाख 95 हजार का भुगतान सरकार को करना पड़ता.

कार्रवाई की नहीं कोई लिखित सूचना

इस संबंध में डीएफओ लक्ष्मण सिंह का कहना है कि कार्रवाई की अब तक कोई लिखित सूचना नहीं आई है. अगर हमारे इलाके से संबद्धता पाई गई है तो मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, इस कार्रवाई की कोई अधिकृत सूचना नहीं है.