Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर मंडल में भारतीय रेलवे को ठेकेदारों और कर्मचारियों की मिलीभगत से 64.42 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। यह घोटाला रेलवे की पार्किंग और ‘पे एंड यूज’ शौचालयों से जुड़ा हुआ है। इस मामले में 6 ठेकेदारों और अज्ञात रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ CBI ने मामला दर्ज कर लिया है।

घोटाला कैसे सामने आया?
जांच के दौरान पाया गया कि मई 2022 से मई 2024 के बीच ठेकेदारों ने रेलवे कर्मचारियों से मिलीभगत कर 8 स्थानों पर वित्तीय हेराफेरी की। वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक विकास खेड़ा की ओर से दर्ज शिकायत में बताया गया कि ठेकेदारों ने लाइसेंस फीस के तौर पर दिए गए 15 डिमांड ड्राफ्ट (DD) को रद्द कर, राशि को स्वयं के खातों में जमा कर लिया।
कौन-कौन शामिल?
CBI ने जिन ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज किया है, उनमें शामिल हैं:
- लोकेश चंद्र मीणा – ₹7.07 लाख का गबन, कुल बकाया ₹8.59 लाख
- संगम आर्ट (पे एंड यूज) – ₹1.40 लाख और ₹6.83 लाख के दो अलग-अलग घोटाले, कुल बकाया ₹15.36 लाख
- कृष्णा एंटरप्राइजेज – ₹11.66 लाख की चपत, कुल बकाया ₹16.68 लाख
- बबलू राम मीणा – ₹7.32 लाख का नुकसान, कुल बकाया ₹8.66 लाख
- अशफाक खान – ₹11 हजार का गबन, कुल बकाया ₹33,570
- प्रमोद मीणा – दो मामलों में ₹4.94 लाख और ₹7 हजार का गबन, कुल बकाया ₹14.57 लाख और ₹19,656
राईका बाग स्टेशन से खुलासा
इस घोटाले का पहला सुराग राईका बाग पैलेस जंक्शन स्टेशन से मिला, जहाँ पार्किंग स्टैंड का टेंडर अहमदाबाद की मेसर्स श्री आरोही एंटरप्राइजेज को सितंबर 2022 में दिया गया था। जांच में पाया गया कि लाइसेंस फीस जमा नहीं कर लगभग 18.47 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। कार्यालय अधीक्षक मनीला चौहान पर आरोप है कि उन्होंने डिमांड ड्राफ्ट को नकद में बदलकर इस राशि का गबन किया।
कानूनी धाराएँ और कार्रवाई
CBI ने आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 120-B (षड्यंत्र), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 471 (नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(A) और 13(2) के तहत केस दर्ज किया है।
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