इंदौर। शहर के देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में मेटास्टैटिक गॉलब्लैडर-लिवर कैंसर से पीड़ित दिल्ली की मरीज मधु शर्मा को संपूर्ण मुक्ति मिली है। मधु शर्मा ने कहा कि-जो भी कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। मैं उनसे कहना चाहती हूं कि उम्मीद मत छोड़िए। इलेक्ट्रो होम्योपैथी से मुझे आराम मिला और अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। देवी अहिल्या कैंसर अस्पताल का माहौल बहुत अच्छा है। सभी मरीजों को यहां एक बार इलाज अवश्य करवाना चाहिए।
कैंसर जैसी घातक बीमारी भी मात खा सकती
डॉ. अजय हार्डिया, निदेशक, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल ने कहा कि- हमारे लिए यह सिर्फ एक मरीज का इलाज नहीं था, यह एक जीवन को वापस उसकी संपूर्णता में लौटाने की यात्रा थी। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में हम मेटास्टैटिक थर्ड और फोर्थ स्टेज के कैंसर मरीजों का बिना कीमोथेरेपी, ऑपरेशन और रेडिएशन के इलाज कर रहे और वह भी पूरी सफलता के साथ।
मधु शर्मा का केस इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि जब चिकित्सा में करुणा, विश्वास और वैकल्पिक पद्धति का सही समन्वय हो, तो कैंसर जैसी घातक बीमारी भी मात खा सकती है। केवल 5 महीनों में उनका ट्यूमर पूरी तरह समाप्त हो गया वह भी बिना किसी इनवेसिव प्रक्रिया के। हमारी इलेक्ट्रो होम्योपैथी आधारित औषधियां आज उन मरीजों के लिए अमृत सिद्ध हो रही हैं, जो खुद को अंतिम चरण में मान चुके थे। हमारी शोध और समर्पण ने अब तक हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है, और हम इसी मिशन के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
हजारों कैंसर मरीजों के लिए एक नई आशा की किरण
मनीषा शर्मा, सीईओ ने कहा कि-हम देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल परिवार की ओर से यह घोषणा करते हुए अत्यंत गर्व और हर्ष का अनुभव कर रहे हैं कि थर्ड-फोर्थ स्टेज मेटास्टैटिक गॉलब्लैडर कैंसर से जूझ रही दिल्ली निवासी मधु शर्मा अब पूर्णतः स्वस्थ हैं। यह न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक प्रेरणादायक उपलब्धि है, बल्कि हजारों कैंसर मरीजों के लिए एक नई आशा की किरण भी है।
हमारा संस्थान वर्षों से इस मिशन पर कार्यरत है कि गंभीर से गंभीर कैंसर को भी बिना सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के, इलेक्ट्रो होम्योपैथी जैसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से सुरक्षित, दर्दरहित और प्रभावी इलाज प्रदान किया जा सके। डॉ. अजय हार्डिया के नेतृत्व में चल रहे इस उपचार मॉडल ने न केवल मधु शर्मा को नया जीवन दिया है, बल्कि ऐसे हजारों रोगियों को आश्वस्त किया है कि ‘अब भी उम्मीद बाकी है।
कैंसर अब अंत नहीं
डॉ. आशीष हार्डिया, उप निदेशक ने बताया कि मधु शर्मा का केस उन सभी मरीजों के लिए एक उदाहरण है जो यह मान चुके हैं कि कैंसर का अंतिम स्टेज अंत का संकेत है। उनकी रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि जब चिकित्सा में विज्ञान के साथ विश्वास और संवेदना जुड़ जाती है, तो परिणाम चमत्कारी हो सकते हैं। हम आने वाले समय में इस नवाचार और उपचार प्रणाली को और अधिक व्यापक स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि भारत ही नहीं, दुनिया के हर कोने तक यह संदेश जाए – कैंसर अब अंत नहीं है।
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