Supreme Court On Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले केस में बंद आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका सोमवार (5 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना सबूत के आरोप लगाने का ED ने आजकल नया पैटर्न बनाया है। दरअसल सुनवाई के दौरान ED के वकील ने एसवी राजू ने आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने का समय मांगा था। इस दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने ED की जांच पर सवाल खड़े किया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच पर सवाल उठाए, जिसमें आरोपी पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप है, लेकिन कंपनी से संबंध साबित नहीं हुआ। जस्टिस ओका ने कहा कि ईडी बिना सबूत के आरोप लगाता है, यह एक पैटर्न है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा।
बचा दें कि यह कथित घोटाला 2019-2022 के बीच हुआ था, जिसमें 2,161 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान है। ईडी ने आरोपी अरविंद सिंह पर 40 करोड़ रुपये कमाने का आरोप लगाया है। ईडी के वकील एसवी राजू ने सबूत पेश करने के लिए समय मांगा। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने मामला अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
अनगिनत मामलों में हम यही देख रहे-जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए अनगिनत मामलों में यही देख रहे हैं कि आप बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगाते हैं। यह एक पैटर्न सा हो गया है। बता दे कि पिछली सरकार के दौरान ED की जांच में यह सामने आया था कि प्रदेश के आबकारी विभाग में 2000 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान सरकार को हुआ है। वही ED ने इसमें तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा , आबकारी विभाग के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह समेत नेताओं और मंत्रियों के सिंडिकेट का खुलासा किया था।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य के सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के शासनकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा (Anil Tuteja), आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी (A.P. Tripathi) और कारोबारी अनवर ढेबर (Anwar Dheber) के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।
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