वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग की सेवानिवृत्त अधीक्षिका मंगला शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए विभाग के अधिकारियों पर सख्त नाराजगी जताई है और कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को प्रमोशन नहीं देना था इसलिए विभागीय अधिकारियों ने जानबुझकर अड़ंगा लगाया. कोर्ट ने विभाग को 90 दिनों के भीतर समीक्षा डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) आयोजित कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला
मंगला शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया कि उन्होंने 15 फरवरी 1972 को प्रोबेशन ऑफिसर (क्लास-III) के रूप में नौकरी शुरू की थी और 19 अक्टूबर 1981 को अधीक्षक (राजपत्रित सहायक निदेशक कैडर) के पद पर पदोन्नत हुईं थीं. 31 मार्च 2017 को वे सेवानिवृत्त हो गईं. लेकिन उनके करियर के महत्वपूर्ण पड़ाव यानी उप निदेशक पद की पदोन्नति से उन्हें जानबूझकर वंचित किया गया.

22 नवंबर 2007 को हुई डीपीसी में उन्हें एसीआर (वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि) उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर पदोन्नति के योग्य नहीं माना गया. जबकि अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि 3 जून, 3 मार्च, 8 मई और 4 जून 2007 को संबंधित अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता की एसीआर संयुक्त संचालक को भेज दी गई थी. इसके बावजूद उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई और जूनियर अधिकारियों को आगे बढ़ा दिया गया.
हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2017 को अपने आदेश में विभाग को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता के पदोन्नति मामले पर विचार कर निर्णय लें. इस आदेश की अवहेलना पर मंगला शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की, जिस पर 14 मई 2018 को फिर से कोर्ट ने आदेश दिया कि पूर्व के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाए. लेकिन विभाग ने 4 जून 2018 को उनका आवेदन खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति एनके चंद्रवंशी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद कहा कि मंगला शर्मा को 2007 की डीपीसी में अवैध रूप से उप निदेशक के पद पर पदोन्नति से वंचित किया गया है. यह स्पष्ट रूप से दुर्भावनापूर्ण कृत्य है. अदालत ने सचिव, समाज कल्याण विभाग द्वारा पारित 4 जून 2018 के आदेश को निरस्त करते हुए समीक्षा डीपीसी आयोजित करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा- समीक्षा डीपीसी आयाेजित कर लें निर्णय
कोर्ट से सचिव समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी कर निर्देशित किया है कि वे 22.11.2007 को हुए डीपीसी की तर्ज पर समीक्षा डीपीसी बुलाएं, ताकि याचिकाकर्ता के सहायक निदेशक/उप निदेशक, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के पद पर पदोन्नति के मामले पर विचार किया जा सके. कोर्ट ने कहा है कि जिस तिथि से उसके कनिष्ठों को उक्त पद पर पदोन्नत किया गया था, तथा उसके पश्चात, याचिकाकर्ता को दिए जाने वाले वेतन और अन्य सेवानिवृत्ति देय राशि के संबंध में परिणाम का पालन किया जाएगा. कोर्ट ने 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी कार्रवाई करने कहा है.
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