संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में एक बार फिर नियमों को अनदेखा कर करोड़ों रुपए के टेंडर निकालने का मामला सामने आया है। दरअसल जिले के लोरमी विधानसभा इलाके में 59 काम के लिए करीब 6 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है, जहां सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कार्यालय कृषि उपज मंडी समिति लोरमी ने करोड़ों रुपए के विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए 7 अप्रैल 2025 को ऑफलाइन निविदा जारी कर दिया. इसमें करीब 45 कामों की निविदा 10 लाख रुपए से ऊपर है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ शासन ने 28 मार्च 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि विभागीय समसंख्यक आदेश 1 अप्रैल 2021 द्वारा प्रदेश के सभी नगर पालिका निगम एवं नगर पालिका परिषदों व सभी नगर पंचायत में राशि 20 लाख एवं अधिक लागत के सभी विकास कार्यों की निविदाएं ई-टेंडरिंग के माध्यम से किया जाए। राज्य शासन ने उक्त आदेश में संशोधन करते हुए 10 लाख रुपए एवं अधिक लागत के विकास कार्यों की निविदाएं ई टेंडरिंग के माध्यम से आमंत्रित करने की अनुमति दी थी. साथ ही e-procurement portal में आवश्यकता अनुसार संशोधन सुधार करते हुए मैन्युअल पद्धति से आमंत्रित समस्त निविदाओं से संबंधित अन्य जानकारी व निविदा क्रमांक निविदा का विवरण निविदा की तिथि न्यूनतम निविदाकार कार्यादेश को e-procurement portal में प्रदर्शित भी करने कहा गया था। इसके बावजूद शासन के नियम को ताक में रखते हुए लोरमी मंडी बोर्ड के सचिव कमल कांत कौशिक ने करोड़ों रुपए के 59 निर्माण कार्यों की ऑफलाइन निविदा निकाल दी।


जारी निविदा के अनुसार 29 अप्रैल 2025 को शाम 5 बजे तक निविदा प्रपत्र प्राप्त किए जाने के लिए इसके साथ ही निविदा प्रपत्र विक्रय की शुल्क नगद जमा कर निविदा प्रपत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि 1 मई तक बताया गया है. वहीं रजिस्टर्ड पोस्ट या स्पीड पोस्ट से कार्यालय में आवेदन प्राप्त करने की तिथि 7 मई को बताया गया है. साथ ही निविदा 10 मई को खोला जाएगा, ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब शासन द्वारा पहले ही यह आदेश जारी किया गया है ऐसे में नियमों को अनदेखा कर टेंडर निकालना कई सवालों को जन्म दे रहा है।
कांग्रेस ने की टेंडर निरस्त करने और दोषी अफसर पर कार्रवाई की मांग
इधर नियम विरुद्ध जारी किए गए करोड़ों रुपए के टेंडर को लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नरेश पाटले ने गलत तरीके से टेंडर जारी करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई सहित जांच के बाद टेंडर को निरस्त करने की मांग की है। उधर सारधा कृषि उपज मंडी बोर्ड के सचिव कमल कांत कौशिक ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि ऑनलाइन टेंडर के माध्यम से 10 लाख रुपए से अधिक राशि का कार्य होना है। उन्हें आदेश की कॉपी देर से 25 अप्रैल को विभागीय पत्र के माध्यम से मिली है, जिसके चलते यह टेंडर निकाला गया है, जो प्रक्रिया में है। सचिव ने बताया कि निविदा के लिए 89 ठेकेदारों ने निविदा के लिए आवेदन दिया गया, जिसमें कुल 59 काम के लिए 34 लोगों को विभाग से निविदा फार्म जारी किया है। उन्होंने कहा, उन्हें नियम के बारे में पता नही था। काम स्टार्ट कर दिया गया था इसलिए इस प्रक्रिया को बीच में नहीं रोका गया।
10 लाख से ऊपर के कार्य के लिए ई-टेंडर अनिवार्य
इधर सरकार द्वारा भ्रष्टाचार रोकने के लिए नवीन पहल के साथ 10 लाख रुपए से अधिक के सभी कार्यों के लिए ई टेंडर अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं लोरमी विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विभिन्न निर्माण कार्यों में नियमों को दरकिनार कर मंडी समिति के सचिव ने ऑफलाइन टेंडर निकाल दिया है। ऐसे में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार के इस नियम में पलीता लगाने का काम विभागीय अधिकारी किस तरह खुलेआम कर रहे हैं इसकी बानगी लोरमी मंडी समिति में देखा जा सकता है।
बता दें कि ई-टेंडरिंग प्रणाली के जरिए भ्रष्टाचार के मामलों में कमी सहित निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वन और गुणवत्ता में सुधार के लिए साय सरकार का यह कदम जिससे विकास कार्यों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में यह कदम कितना कारगर साबित होगा, इस टेंडर से अंदाजा लगाया जा सकता है।
बड़ा सवाल – सरकार के आदेश का क्यों नहीं हुआ पालन
वहीं कार्यालय प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन मंडी बोर्ड द्वारा भी एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें बस्तर संभाग क्षेत्र के अंतर्गत 50 लाख तक के कार्यों एवं राज्य के अन्य संभाग क्षेत्र अंतर्गत 20 लाख रुपए तक के कार्यों की निर्णय मैन्युअल पद्धति से आमंत्रित अनुमति को आंशिक संशोधन करते हुए 10 लाख तक के कार्यों को मैन्युअल निविदा के माध्यम से तथा 10 लाख से अधिक के कार्यों के सभी निवेदन ई-टेंडरिंग के माध्यम से क्रियान्वित किए जाने के लिए निर्देश भी जारी किया गया है। साथ ही कार्यालय इन आदेश क्रमांक 742 दिनांक 26 मई 2020 से जारी आदेश को संशोधित करते हुए राज्य शासन के उक्तानुसार आदेश के अनुरूप आदेशित किया जाता है कि मंडी बोर्ड या मंडी समितियां के अंतर्गत कराए जाने वाले सभी निर्माण कार्यों के लिए 10 लाख तक के कार्यों की निवेदन मैन्युअल पद्धति से तथा 10 लाख से अधिक के कार्यों के समस्त निवेदन टेंडरिंग के माध्यम से आमंत्रित किया जाए। यह आदेश जारी दिनांक से तत्काल प्रभावशील होगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब शासन द्वारा 28 मार्च को यह आदेश जारी किया गया है तब मंडी बोर्ड द्वारा यह आदेश 11 दिन बाद निकालते हुए पालन क्यों नहीं किया जा रहा।
हालांकि पूरे मामले में देखना होगा कि प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव के विधानसभा क्षेत्र में नियमों को ताक में रखते हुए जो टेंडर जारी किया गया है इस मामले में विभागीय उच्च अधिकारियों द्वारा कब तक जांच के बाद क्या कार्रवाई की जाती है।
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