Pakistan Air Defense System Failed: भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला पाकिस्तान के उपर ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) चलाकर ले लिया है। आतंक के आकाओं को उसी की जुबान में जवाब दिया गया है। 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अंदर भारत ने एयर स्ट्राइक करके 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकियों के मरने की खबर है। वहीं पाकिस्तान ने अभी तक कम से कम 31 लोगों के मारे जाने और 40 लोगों के घायल होने की बात कबूली है।
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हालांकि इन सबके बीच सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में पाकिस्तान एयर डिफेंस सिस्टम की हो रही है। भारतीय सेना के इस एयरस्ट्राइक ने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है। पाकिस्तान की सुरक्षा में तैनात चीनी एयर डिफेंस (Chinese Air Defense) भारतीय मिसाइलों (Indian missiles) के आगे पूरी तरह फुस्स हो गया। यानि, जिस एयर डिफेंस सिस्टम पर पाकिस्तान उछल रहा था, उसने उसे धोखा दे दिया है। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत ने अपनी उन्नत मिसाइलों और रणनीति के दम पर पाकिस्तान की हवाई रक्षा को ध्वस्त करते हुए चुन-चुनकर मिसाइलें गिराईं। भारत के इस हमले ने ‘चाइना माल’ की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से सवाल उठा दिया है।

भारतीय मिसाइलों के सामने चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम फुस्स
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणालियां (Chinese-made air defense systems) पूरी तरह से फेल हो गईं हैं। भारत के हमले के दौरान LY-80 LOMADS और HQ-9 जैसी चीन निर्मित रक्षात्मक मिसाइलें पाकिस्तान की सुरक्षा में तैनात थीं। हालांकि ये भारतीय मिसाइलों और विमानों को ट्रैक करने या रोकने में पूरी तरह विफल रहीं। भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस, SCALP, और स्पाइस-2000 जैसी उन्नत मिसाइलों का उपयोग कर नौ आतंकी ठिकानों को 25 मिनट में नष्ट कर दिया। वो भी बिना किसी नुकसान के।
पाकिस्तान से ज्यादा चीन के लिए चिंता की बात ये है कि यह विफलता चीन की रक्षा प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया है। पाकिस्तान ने 2014 में LY-80 और 2021 में HQ-9 सिस्टम खरीदे थे, जिन्हें 100-200 किमी की रेंज और एक साथ 100 लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता वाला बताया गया था। इन सिस्टमों की विफलता से वैश्विक हथियार बाजार में चीन की साख को बहुत ज्यादा नुकसान होने वाला है। सोशल मीडिया पर लोग चीनी सामानों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों ब्रह्मोस और निर्भय की प्रभावशीलता दक्षिण एशिया में उसकी साख को चीन के मुकाबले बढ़ाने का काम करने वाला है। भारत की ‘कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना’ पॉलिसी ने ड्रैगन को दिया तगड़ा झटका दिया है।

HQ-9: पाकिस्तान का ‘चाइनीज माल’
HQ-9 एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे चाइना प्रिसिजन मशीनरी इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CPMIEC) ने विकसित किया है। पाकिस्तान ने इस सिस्टम को 2021 में अपनी सेना में शामिल किया था, ताकि भारत के राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस मिसाइलों जैसे हवाई खतरों का मुकाबला कर सके। इसकी रेंज 125 से 200 किलोमीटर तक बताई जाती है. यह एक साथ 100 टारगेट्स को ट्रैक करने की क्षमता रखता है।
पाकिस्तानी विशेषज्ञ HQ-9 की तुलना भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से करते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से यह S-400 से काफी पीछे है। उदाहरण के लिए S-400 की रेंज 400 किलोमीटर है। इसे तैनात करने में केवल 5 मिनट लगते हैं, जबकि HQ-9 को तैनात करने में 35 मिनट का समय लगता है। इसके अलावा, HQ-9 का रडार सिस्टम भारत की ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में कमजोर साबित हुआ है।
जानिए HQ-9 के बारे में …
पाकिस्तान का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम चीन ने बनाया था. इसकी शुरुआत चीन ने साल 2001 से की थी। पाकिस्तान की HQ-9 के तीन वैरिएंट्स चीन ने बनाए हैं। पहला HQ-9 है, जिसकी ऑपरेशनल रेंज 120 किलोमीटर है। HQ-9A की रेंज 200 और HQ-9B की रेंज 250 से 300 किलोमीटर है। पाकिस्तान की HQ-9 की अधिकतम गति मैक 4 से अधिक है. यानी 4900 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा। लेकिन उसके तीनों वैरिएंट्स की कुल गति का खुलासा कहीं नहीं है। पाकिस्तान की HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों की अधिकतम उड़ान सीमा 12 किलोमीटर, 41 किलोमीटर और 50 किलोमीटर है।
स्कैल्प ने कैसे पाकिस्तानी डिफेंस को किया नाकाम
SCALP मिसाइलें जमीन से बेहद नीचे उड़ती हैं, जिससे रडार पकड़ नहीं पाते। SCALP मिसाइल एक स्टील्थ मिसाइल है, इसके बॉडी पर स्टील्थ कोटिंग है, जिसकी वजह से इस मिसाइल का रडार रिफ्लेक्शन इतना कम है कि ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा संभावना है कि हो सकता है कि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक डिकॉय का इस्तेमाल किया हो, जिससे पाक डिफेंस सिस्टम भ्रम में आ गया होगा। इसके अलावा भारत ने पाकिस्तान को सरप्राइज किया है। क्योंकि भारत ने आज देश भर में मॉक ड्रिल की घोषणा कर रखी थी, जिससे पाकिस्तान को लग रहा था कि कम से कम आज तो हमला नहीं होने वाला है। यानि, भारत ने पाकिस्तान को तगड़ा सरप्राइज दिया है।
चीन की आर्थिक और व्यापारिक चिंताएं
इस एक्शन का सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। वहीं पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता का असर भी चीन पर पड़ने वाला है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और खराब हुई, जिसका असर CPEC पर पड़ सकता है। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से 10 अरब डॉलर के अतिरिक्त स्वैप लाइन की मांग की थी, जिस पर चीन ने चुप्पी साध रखी है। उम्मीद है कि चीन इससे मुकर न जाए। दरअसल पाकिस्तान का कमजोर शेयर बाजार और आर्थिक संकट CPEC परियोजनाओं को जोखिम में डाल सकता है, जो चीन के लिए एक बड़ा निवेश है। पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति के चलते चीन कभी अपनी स्थिति नहीं खराब करना चाहेगा। अमेरिकी टैरिफ की मार से पहले ही चीन परेशान होगा , ऐसी हालत में किसी भी सूरत में वो पाकिस्तान की मदद करना उसके वश की बात नहीं होगी, जिससे चीन को अपनी निवेश रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
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