War Anxiety: 7 मई की सुबह भारत की ओर किए गए जवाबी सैन्य “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद जहाँ रणनीतिक दृढ़ता की चर्चा हर ओर है, वहीं दूसरी तरफ आम नागरिकों के बीच बेचैनी, डर और मानसिक तनाव का माहौल तेज़ी से गहराने लगा है. खबरों की तेज़ रफ्तार, सोशल मीडिया की अफवाहें और अनिश्चित भविष्य को लेकर बनी आशंकाएँ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही हैं.
हर तरफ सिर्फ एक ही चर्चा है, क्या युद्ध होगा? क्या हम सुरक्षित हैं? ऐसे समय में यह समझना ज़रूरी है कि युद्ध की आशंका केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि लोगों की सोच, दिनचर्या और भावनाओं पर भी गहरा प्रभाव डालती है.
Also Read This: पाकिस्तान में फिर एयर स्ट्राइक! सीरियल धमाकों से हिला लाहौर, जान बचाने के लिए भागते दिखे लोग, चश्मदीद बोले-मिसाइल से हुआ हमला, देखें वीडियो

मनोचिकित्सकों का कहना है कि इन दिनों लोग “युद्ध चिंता” (War Anxiety) से जूझ रहे हैं. यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति लगातार बेचैनी, घबराहट, और भय का अनुभव करता है. कई बार इसके साथ सिरदर्द, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन और थकावट भी महसूस होती है.
क्या है युद्ध चिंता? (What is War Anxiety)
युद्ध चिंता का मतलब केवल युद्ध का डर नहीं है, बल्कि वह असहजता है जो अनिश्चितता और ख़तरे के माहौल में पनपती है. कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- हर वक़्त बुरी खबर की आशंका
- बार-बार न्यूज़ या सोशल मीडिया चेक करना
- मन का भटकाव, ध्यान न लगना
- थकान, भूख में बदलाव, नींद की समस्या
- चिड़चिड़ापन, निराशा या घबराहट
Also Read This: पाकिस्तान में भारत की एयरस्ट्राइक के बाद बदले चीन के सुर, बोला- हम भी आतंकवाद के खिलाफ, लेकिन…
कैसे रखें अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान? (How To Contol War Anxiety)
खबरें सीमित मात्रा में देखें: दिन में एक-दो बार ही भरोसेमंद स्रोत से जानकारी लें. लगातार डरावनी खबरों के बीच रहना नुकसानदायक हो सकता है.
सोशल मीडिया से दूरी बनाएं: व्हाट्सऐप फॉरवर्ड्स और डर फैलाने वाली पोस्ट से दूर रहें. जरूरत हो तो ग्रुप म्यूट कर दें.
जो आपके हाथ में है, उस पर ध्यान दें: अपने रोजमर्रा के काम, दिनचर्या और ज़िम्मेदारियों में ध्यान लगाएँ. अतिरिक्त ख़रीदारी या घबराहट से बचें.
शरीर को सुकून दें: गहरी साँसें लें, हल्की एक्सरसाइज़ करें, पार्क में टहलें. नींद पूरी लेना बेहद ज़रूरी है.
मन की बात साझा करें: दोस्तों, परिवार या काउंसलर से बात करें. कई बार मन की बात कह देने से बोझ हल्का हो जाता है.
बुज़ुर्गों और बच्चों का ध्यान रखें: वे आपकी भावनाओं को महसूस करते हैं. उनसे सधी हुई, सकारात्मक बातें करें.
रचनात्मक कामों में लगें: किताब पढ़ना, पेंटिंग करना, खाना बनाना या बागवानी — कुछ भी ऐसा करें जो मन को सुकून दे.
Also Read This: एयर स्ट्राइक पाकिस्तान में, पतलून गीली हुई चीन कीः ‘चाइना माल’ की विश्वसनीयता पर फिर उठे सवाल, भारत की ‘कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना’ पॉलिसी ने ड्रैगन को दिया तगड़ा झटका
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें