India S-400 Sudarshan Chakra: पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर हमले करने की कोशिश की, लेकिन भारत की S-400 सुदर्शन चक्र वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को विफल कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र के नाम पर रखे हुए भारत के मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम (Missile Air Defense System) एस-400 (S-400) ने पाक की तरफ से आ रही मिसाइल और ड्रोन को हवा में ही राख कर दिया। पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों को टारगेट करने की कोशिश की थी, जिसमें से 7 शहर पंजाब के थे। भारत के एस-400 ने आसमान में ही पाकिस्तान के मिसाइल को तबाह कर दिया।

पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर किया मिसाइल-ड्रोन अटैक, भारत ने किया नाकाम, पाक के 6 एयर डिफेंस सिस्टम को भी तबाह किया, लाहौर से लेकर कराची तक किए ताबड़तोड़ ड्रोन हमले

भारत सरकार (Government of India) ने ऑफिशियल बयान जारी करके बताया, “07 और 08 मई की दरमियानी रात को पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना सहित कुल 15 शहरों में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। भारत ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करते हुए एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया।

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पाकिस्तान ने जिस 15 शहरों को निशाने पर लेने की कोशिश की थी, उसमें बॉर्डर से सटा हुआ शहर अमृतसर भी था। अमृतसर में ही भारत के एयरडिफेंस सिस्टम एस-400 सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइस को तबाह कर दिया। भारतीय सेना के शौर्य का वीडियो सामने आया है। जिसमें नजर आ रहा है कि रात में अचानक आसमान में एक चमक नजर आ रही होती है और भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम उसे वहीं तबाह कर देता है।

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ऑपरेशन सिंदूर-1 और S-400 की भूमिका

बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर-1 में भी भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए हैमर, स्कैल्प और अन्य प्रेसिजन हIndia S-400 Sudarshan Chakra: थियारों का उपयोग किया था। इस ऑपरेशन में भी S-400 ने भारतीय वायु क्षेत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह प्रणाली दुश्मन के किसी भी जवाबी हमले को रोकने के लिए तैयार थी, जिससे भारतीय लड़ाकू विमानों को सुरक्षित रूप से ऑपरेशन पूरा करने में मदद मिली।

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पाकिस्तान के हालिया हमलों को नाकाम करने में S-400 ने फिर से अपनी ताकत दिखाई है। इस प्रणाली ने दुश्मन के ड्रोनों और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, जिससे भारत के शहरों को कोई नुकसान नहीं हुआ। भारत और पाकिस्तान चिर विरोधी देश रहे हैं. कई युद्ध भी लड़ चुके हैं। पाकिस्तान हर बार हारा है लेकिन उसके पास अब कई अत्याधुनिक हथियार हैंष पाकिस्तान का HQ-9 चीन से लिया हुआ है। जबकि भारत का S-400 ट्रिम्फ रूस से आया है. आइए जानते हैं दोनों में सबसे खतरनाक और सटीक कौन है?


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रूस से भारत ने खरीदा है

दरअसल, भारत ने साल 2018 में रूस के साथ एस-400 प्रणाली के 5 स्क्वॉड्रन के लिए लगभग ₹35,000 करोड़ के सौदे पर साइन किए थे। यह उन्नत वायु रक्षा प्रणाली भारत के रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और ऐसा ही इसने पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन, मिसाइल अटैक को विफल करने में किया है। भारत ने देश के अलग-अलग हिस्सों में इस सिस्टम को तैनात किया है, जो चीन और पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं ताकि किसी भी बुरे वक्त में इनका इस्तेमाल किया जा सके।

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हथियार नहीं महाबली है एस-400

एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि ये हथियार नहीं महाबली है। इसके सामने किसी की भी साजिश नहीं चलती है। यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है। एस-400 मिसाइल सिस्टम को दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है। पाकिस्तान और चीन भारत के लिए हमेशा से चुनौती रहे हैं। भारत का इन देशों से युद्ध भी हो चुका है. शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी मिसाइल प्रणाली की देश को जरूरत थी।

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किस तरह ट्रैकिंग करता है S-400

इसकी एक ताकत ये भी है कि इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है। यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है। शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी। जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे।

1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की। ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी। साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया। एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी। साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया। 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी।

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