Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर एक विशेष खगोलीय संयोग बन रहा है, जो इसे अत्यंत शुभ और फलदायी बनाता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर तीन दुर्लभ और अत्यंत मंगलकारी योग बन रहे हैं—रवि योग, भद्रा वास योग और वरीयान योग.

इन योगों में पूजा-पाठ, दान और तप करने से साधकों को दोगुना पुण्य प्राप्त हो सकता है. उनका मानना है कि इस दिन की गई आध्यात्मिक साधना, दान-पुण्य और ध्यान, साधकों को आत्मिक शांति और सांसारिक सुख दोनों प्रदान कर सकते हैं.

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Buddha Purnima 2025
Buddha Purnima 2025

सुबह से शुरू होंगे शुभ संयोग (Buddha Purnima 2025)

12 मई की सुबह 05:32 बजे से रवि योग की शुरुआत होगी, जो 06:17 बजे तक प्रभावी रहेगा. रवि योग को सभी कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके बाद सुबह 09:14 बजे तक भद्रावास योग रहेगा, जिसमें भद्रा पाताल लोक में रहेगी. यह समय भी मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल रहेगा.

दिनभर और रातभर वरीयान योग का प्रभाव बना रहेगा. यह योग आध्यात्मिक उन्नति और साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. भगवान विष्णु, चंद्रदेव और भगवान बुद्ध की पूजा इस योग में विशेष फलदायी मानी गई है.

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स्नान-दान का मुहूर्त और चंद्रोदय का समय (Buddha Purnima 2025)

बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन स्नान-दान का श्रेष्ठ समय सुबह 04:08 से 04:50 बजे तक रहेगा. वहीं, चंद्रोदय शाम 06:57 बजे होगा, जिसे देखने का भी विशेष पुण्यफल माना गया है.

पीपल वृक्ष की पूजा और ध्यान का महत्व (Buddha Purnima 2025)

इस विशेष पूर्णिमा पर पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसलिए इस दिन उनका ध्यान, उपवास और पूजन जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक हो सकता है.

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