Rajasthan News: झुंझुनूं जिले के मंडावा क्षेत्र के मेहरादासी गांव के वायुसेना जवान सुरेंद्र कुमार मोगा शनिवार सुबह जम्मू-कश्मीर के उधमपुर सेक्टर में पाकिस्तानी हमले में शहीद हो गए। वे वायुसेना के 39 विंग एयर बेस में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर तैनात थे।
शहीद जवान सुरेंद्र कुमार की तिरंगा यात्रा दोपहर 12 बजे मंडावा से शुरू हुई। जयपुर से आई सैन्य टुकड़ी भी तिरंगा यात्रा में शामिल है। यहां से उनके गांव मेहरादासी तक करीब 9 किलोमीटर तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। करीब 12.30 बजे उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे पहले सुबह करीब 11.15 बजे दिल्ली से सड़क मार्ग के जरिए उनकी पार्थिव देह को मंडावा लाया गया था।

उनकी शहादत की खबर से गांव में मातम छा गया। पत्नी सीमा यह सुनते ही बेहोश हो गईं और उन्हें तुरंत नवलगढ़ जिला अस्पताल ले जाया गया। होश में आने पर सीमा ने गर्व के साथ कहा, “मुझे अपने पति की शहादत पर फख्र है। मैं अपने बेटे को भी सेना में भेजूंगी।” उनकी मासूम बेटी वृत्तिका और बेटा दक्ष अपने पिता की तस्वीर को देखते रहे, मानो पूछ रहे हों, “पापा, आप कब लौटेंगे?”
शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे सीमा के पिता और पूर्व सैनिक रामनिवास मील को पूर्व सैनिकों के व्हाट्सएप ग्रुप में एक संदेश मिला, जिसमें लिखा था कि उधमपुर के ओल्ड एटीसी भवन और मेस पर हमला हुआ है। सीमा ने तुरंत सुरेंद्र को फोन किया, लेकिन कॉल नहीं उठा। कई कोशिशों के बाद सुरेंद्र के एक साथी ने फोन उठाया और बताया, “सुरेंद्र अब नहीं रहे।” यह सुनते ही सीमा चीख पड़ीं और बेहोश हो गईं। रामनिवास ने ग्रुप के कैप्टन से पुष्टि की, जिन्होंने कहा, “आज मैंने अपना सच्चा हीरो खो दिया।”
सुरेंद्र ने हालात बिगड़ते देख गुरुवार शाम को ही सीमा और बच्चों को ट्रेन से गांव भेज दिया था। सीमा उनके साथ रहना चाहती थीं, लेकिन सुरेंद्र ने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें रवाना कर दिया। उनकी पार्थिव देह रविवार सुबह मेहरादासी गांव पहुंचेगी।
सुरेंद्र 2010 में सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने झुंझुनूं के राजस्थान पब्लिक स्कूल और जीआर पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की थी, और मोरारका कॉलेज से बीएससी पूरी की थी।
हाल ही में वे अपने नए घर के गृह प्रवेश के लिए गांव आए थे और 15 अप्रैल को ड्यूटी पर लौटे थे। उनके पिता शिशुपाल मोगा, जो पैरा मिलिट्री फोर्स में थे, का चार साल पहले निधन हो चुका है। सुरेंद्र अपनी मां नानू देवी के इकलौते बेटे थे और उनकी तीन बड़ी बहनें हैं।
शहीद की पत्नी सीमा गृहणी हैं, और उनके दो बच्चे हैं 11 साल की बेटी वृत्तिका और 7 साल का बेटा दक्ष। गांव में कोई चूल्हा नहीं जला, और हर आंख नम थी। जिला कलेक्टर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार शहीद के परिवार के साथ है। सुरेंद्र की शहादत पर पूरे जिले को गर्व है, साथ ही गहरा दुख भी।
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