लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एससी एसटी उत्पीड़न बढ़ रहा है। एससी एसटी वर्ग में इतना असंतोष क्यों ? यूपी के एससी एसटी वर्ग को थाने चौकी, तहसील दिवस, समाधान दिवस, जनता दर्शन में न्याय नहीं मिल रहा। दरअसल ये फैक्ट्स राष्ट्रीय अत्याचार विरोधी हेल्पलाइन (एनएचएए) में की गई कॉल्स से सामने आए हैं। आंकड़े चौंकाने वाले तो हैं ही, यूपी के बड़े बड़े नेताओं और सरकारी अफसरों के दावों की पोल भी खोल रहे हैं। ये आंकड़े यूपी में एससी एसटी वर्ग के स्थिति को भी दर्शा रहे हैं।

यूपी से आए सबसे ज्यादा कॉल

चार साल पहले वर्ष 2021 में राष्ट्रीय अत्याचार विरोधी हेल्पलाइन की शुरुआत हुई थी। पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा कॉल यूपी से आई है। आपको यह जानकर हैरानी होगा कि अब तक हेल्पलाइन में जितने कॉल आए है। उनमें आधे से भी ज्यादा कॉल्स उत्तर प्रदेश के है। हेल्पलाइन की शुरुआत से अब तक कुल 6.5 लाख कॉल्स आए है। जिनमें से कुल 3 लाख 33 हजार 516 कॉल्स अकेले उत्तर प्रदेश के है। जिनमें से 1,825 कॉल्स को औपचारिक रूप से शिकायत के रूप में दर्ज किया गया है। जबकि 1 हजार 515 कॉल्स का समाधान किया गया है।

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बिहार में भी एससी-एसटी से अत्याचार

वहीं यूपी के बाद दूसरे नंबर पर बिहार का नाम है। जहां से कुल 58 हजार 112 कॉल आईं हैं। माना जाता है कि बिहार में सबसे ज्यादा एससी एसटी का उत्पीड़न होता है लेकिन एनएचएए के आंकड़े ने सबको चौंका दिया। बिहार के बाद तीसरे नंंबर पर राजस्थान का नाम है। जहां से कुल 38 हजार 570 कॉल आईं है। इसके बाद क्रमश : मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा और कर्नाटक का नाम है। इन राज्यो से भी हजारों कॉल की गई है।

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इसके अलावा महाराष्ट्र से 268 शिकायतें दर्ज की गई। जिनका समाधान नहीं किया गया। वहीं गोवा में केवल एक शिकायत दर्ज मिली है। जिसका भी समाधान नहीं किया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अत्याचार विरोधी हेल्पलाइन की शुरूआत की गई है।अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचारों के मामलों में मदद के लिए इसे बनाया गया है। जिसके जरिए एससी और एसटी वर्ग के लोग कॉल करके पूछताछ, कानूनी मार्गदर्शन या रिपोर्ट से संबंधित सहायता ले सकते है।