प्रतीक चौहान. रायपुर. श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा के एसपी बनने के बाद अब जीआरपी एक्टिव हो गई है और उनके नेतृत्व में ही चोरी के एक बड़े मामले में रिकवरी की है. चंद दिनों पहले ही जीआरपी ने चोरी करने वाले गिरोह का खुलासा किया था, लेकिन तब करीब 60 लाख के हीरे की ज्वेलरी बरामद नहीं की जा सकी थी, लेकिन आज जीआरपी ने चोरी हुए कुल गहनों में 2 अंगूठियों को छोड़कर 60 लाख से अधिक के गहनों की रिकवरी कर ली है. जीआरपी ने इस मामले में राउरकेला के एक बड़े ज्वेलर्स शेखर प्रसाद दास पिता नारायण दास को अरेस्ट कर लिया है.

लल्लूराम डॉट कॉम को जीआरपी एसपी श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा ने बताया कि उक्त हीरे की ज्वेलरी को आरोपी ने सस्ते में खरीदने के लिए अपने भांजे को मोहरा बनाया और इसे 11 लाख रुपए में खरीदा और इसे वे 60-70 लाख रुपए में बेचने की फिराक में था. चूंकि ज्वेलरी हीरे की थी इसलिए वे इसके साथ किसी प्रकार की छेड़कानी नहीं कर सका, उनका कहना था कि यदि ज्वेलरी सोने की होती तो चोरी के बाद आरोपी इसे तुरंत गला देते है.

एसपी ने बताया कि आरोपियों से अभी पूछताछ जारी है और अब तक की पूछताछ में छत्तीसगढ़ में हुई करीब 5 चोरियों का खुलारा जल्द जीआरपी करने वाली है.

रायपुर की सांवरिया होटल में रूकते थे चोर

आरोपियों से पूछताछ में जीआरपी को जानकारी मिली की रेलवे स्टेशन क्षेत्र में मौजूद सांवरिया होटल में चोर वारदात को अंजाम देने से पहले रूकते थे. टीम की जांच में ये भी बात सामने आई है कि आरोपियों ने होटल में गलत आईडी दी, यही कारण है कि आरोपियों तक पहुंचने में जीआरपी को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

नहीं लगे थे CCTV कैमरे

जीआरपी के सूत्र बताते है कि चोरी के बाद पहले आरपीएफ ने ये दावा किया कि शिवनाथ एक्सप्रेस में लगे कैमरे से फुटेज मिलने की उम्मीद है. लेकिन बाद में पता चला कि कैमरे एसी-3 में लगे है और चोरी एसी-2 बोगी से हुई थी. जहां से कोई फुटेज जीआरपी को नहीं मिले. इसके बाद जीआरपी ने आरपीएफ से दुर्ग और भिलाई रेलवे स्टेशन के फुटेज मांगे. लेकिन उक्त ट्रेन जहां यात्री बैठे थे वहां के कोई भी सीसीटीवी फुटेज (रेलवे स्टेशन के) नहीं मिल सके. यही कारण है कि जीआरपी को इस ब्लाइंड केस में काफी मशक्कत करनी पड़ी.

RPF ने किया था पकड़ने का दावा

इस मामले में पिछले दिनों जीआरपी एसपी श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा के खुलासे के बाद उक्त चोर को पकड़ने के दावे आरपीएफ ने भी किए और इसकी प्रेस रिलीज जारी की. लेकिन तस्वीरें जो आरपीएफ द्वारा जारी की गई थी वो जीआरपी के पकड़ने के बाद लॉकअप की थीं. वहीं इसके लिए आरपीएफ ने अपनी टास्क टीम भी बनाई थी, लेकिन इस पूरे खुलासे में उन्हें कोई भी सुराग नहीं मिला और जीआरपी की कड़ी मेहनत रंग लाई.

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