पुरी श्रीमंदिर विवाद: पुरी. एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने मंदिर की परंपराओं के उल्लंघन के आरोपों के चलते पुरी श्रीमंदिर के वरिष्ठ सेवादार रामकृष्ण दास महापात्र को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है. यह निलंबन पश्चिम बंगाल स्थित दीघा के जगन्नाथ मंदिर को लेकर चल रहे विवाद के बीच किया गया है.

महापात्र, जो दैतापति निजोग के सचिव भी हैं, पर नवनिर्मित दीघा जगन्नाथ मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा में अनधिकृत रूप से भाग लेने का आरोप है.

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पुरी श्रीमंदिर विवाद
पुरी श्रीमंदिर विवाद

एसजेटीए ने पहले उन्हें दो कारण बताओ नोटिस जारी किए थे, जिनमें उनके बयानों और कृत्यों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था. जांच के उपरांत, एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढी ने निलंबन की घोषणा की. इस दौरान महापात्र को मंदिर परिसर में प्रवेश करने और किसी भी प्रकार के अनुष्ठान करने से वंचित किया गया है.

विवाद उस समय और गहरा हो गया जब पुरी स्थित सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ‘जगन्नाथ सेना’ ने पवित्र लकड़ियों के कथित अनधिकृत परिवहन की गहन जांच की मांग की. इसके अतिरिक्त, दीघा मंदिर का नाम ‘जगन्नाथ धाम’ रखे जाने को लेकर भी आपत्ति जताई जा रही है. कई लोगों का मानना है कि पुरी ही एकमात्र सच्चा ‘जगन्नाथ धाम’ है.

महापात्र के निलंबन को लेकर सेवादारों और श्रद्धालुओं के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है. कुछ लोगों ने मंदिर की परंपराओं की रक्षा हेतु इसे एक उचित कदम बताया है, वहीं अन्य लोग मंदिर प्रशासन में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं.

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