दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है. बिजली वितरण कंपनियों ने पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में संशोधन करने का निर्णय लिया है, जिसके परिणामस्वरूप मई और जून के महीने में बिजली बिलों(Electricity Bill) में 7 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी. बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने यह जानकारी साझा की थी कि बिजली खरीद समायोजन शुल्क (PPAC) तब बढ़ाया जाता है जब कोयला और गैस जैसे ईंधनों की लागत में वृद्धि होती है. इस बढ़ोतरी के बाद, बिजली वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं से नए दाम वसूल करती हैं.

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क्या होता है पीपीएसी?

बिजली खरीद समायोजन शुल्क (PPAC) उस वृद्धि को दर्शाता है जो उत्पादन कंपनियों द्वारा कोयला और गैस जैसी ईंधन लागत में वृद्धि के कारण होती है. यह शुल्क बिजली वितरण कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं से वसूला जाता है और इसे बिजली बिल के निर्धारित शुल्क और ऊर्जा शुल्क (उपयोग की गई यूनिट बिजली) के आधार पर प्रतिशत के रूप में जोड़ा जाता है.

प्रति यूनिट पर परसेंटेज के हिसाब से होती है बढ़त

बिजली बिल में निर्धारित शुल्क और ऊर्जा शुल्क (उपयोग की गई यूनिट्स के आधार पर) को प्रतिशत के रूप में जोड़ा जाता है. दिल्ली बिजली नियामक आयोग (DERC) ने तीनों बिजली वितरण कंपनियों को अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच के बिजली खरीद समायोजन शुल्क (PPAC) को मई-जून 2025 में उपभोक्ताओं से वसूलने की अनुमति दी है.

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इतने फीसदी बढ़ोतरी तय

PPAC की दरें BRPL के लिए 7.25 प्रतिशत, BYPL के लिए 8.11 प्रतिशत और TPDDL के लिए 10.47 प्रतिशत निर्धारित की गई हैं. बिजली अधिकारियों के अनुसार, यह वृद्धि डीईआरसी द्वारा केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार की गई है. ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण डिस्कॉम को बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से अधिक कीमत पर बिजली खरीदनी पड़ती है, जबकि उपभोक्ताओं को बेची जाने वाली बिजली की दरें इस अनुपात में नहीं बढ़ती हैं.

इस घाटे की पूर्ति के लिए डिस्काम को उपभोक्ताओं से पीपीएसी वसूलने की अनुमति दी गई है. डिस्काम का कहना है कि 9 नवंबर, 2021 को बिजली मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, सभी राज्यों के विद्युत विनियामक आयोग को ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे बिजली की कीमतों में वृद्धि होने पर डिस्काम को बिना किसी आवेदन के पीपीएसी वसूलने की अनुमति मिल सके.

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दिल्ली में 2012 से यह व्यवस्था लागू है. बिजली अधिकारियों के अनुसार, संसद में 2003 में पारित अधिनियम के तहत, डिस्कॉम गर्मियों में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पीपीएसी को 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं.

बिजली के बढ़ते दाम का विरोध

रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने बिजली कंपनियों के हालिया निर्णय का विरोध करते हुए बढ़ाए गए दामों को मनमाना बताया है. यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली का आरोप है कि दिल्ली के निवासियों पर पीपीएसी शुल्क लगाने की प्रक्रिया कानूनी रूप से गलत है. दूसरी ओर, कंपनियों का कहना है कि पीपीएसी की वसूली का उद्देश्य बिजली खरीद की लागत को समय पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है, जो कोयले और गैस की कीमतों पर निर्भर करती है. उनका तर्क है कि पीपीएसी के बिना डिस्कॉम पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा.