मथुरा. ठाकुर राधारमणलाल जू के 483वें प्राकट्योत्सव पर श्री राधारमणलाल मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब, भव्य महाभिषेक और वैदिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया उत्सव. सप्त प्राचीन देवालयों में से एक राधारमण मंदिर में सोमवार को ठाकुर राधारमणलाल जू का 483वां प्राकट्योत्सव भक्तिभाव और भव्यता के साथ मनाया गया. तड़के प्रातःकाल ठाकुर जी का दूध, दही, शहद, घृत, इत्र व सुगंधित जड़ी-बूटियों से महाभिषेक किया गया. मंदिर परिसर “राधारमण लाल की जय” के जयघोषों से गूंज उठा. इस दौरान पुण्डरीक महराज ने भी श्री राधारमणलाल जी का भव्य अभिषेक पूजन किया.

भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने एलसीडी स्क्रीन पर दर्शन की व्यवस्था की, ताकि कोई भी श्रद्धालु ठाकुर जी के दिव्य स्वरूप से वंचित न रह जाए. मंदिर के जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर विराजमान ठाकुर जी के श्रीविग्रह का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ धूप पूजन और फिर करीब दो घंटे तक महाभिषेक संपन्न हुआ. इस दौरान भक्तों की निगाहें ठाकुर जी से हटने का नाम नहीं ले रही थीं.

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ठाकुर जी के प्राकट्य का प्रतीक

पंचामृत प्रसाद पाने को भक्तों में खासा उत्साह देखा गया. मंदिर सेवायत पद्मनाभ गोस्वामी ने बताया “यह दिन हमारे आराध्य ठाकुर जी के प्राकट्य का प्रतीक है. वैदिक परंपराओं के अनुसार हर वर्ष श्रद्धा से यह अनुष्ठान किया जाता है.” वहीं एक महिला श्रद्धालु ने भावविभोर होकर कहा, “ठाकुर जी के अभिषेक दर्शन करना जीवन का सौभाग्य है, जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.” सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर मंदिर प्रबंधन ने विशेष इंतजाम किए थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो.