Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के सांसदों (एमपी) और विधायकों (एमएलए) के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को लेकर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकार सात अगस्त तक वर्षवार सारणी के माध्यम से बताए कि किन वर्षों में कितने प्रकरण दर्ज हुए और वर्तमान में प्रत्येक केस किस स्तर पर लंबित है।

मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान (suo motu cognizance) के तहत मामले की सुनवाई करते हुए दिया।
राज्य सरकार ने सौंपा शपथ पत्र
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया। इसमें अदालत को अवगत कराया गया कि एमएलए और एमपी के खिलाफ लंबित मुकदमों की सुनवाई को टालने से बचने के निर्देश अभियोजन पक्ष को दिए गए हैं। साथ ही, जिन मामलों में आरोप तय नहीं हो पा रहे हैं, उनका शीघ्र निस्तारण करने को कहा गया है।
शपथ पत्र में यह भी जानकारी दी गई कि हर मामले के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो संबंधित केसों की निगरानी और ट्रैकिंग सुनिश्चित करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उठाया गया कदम
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में आदेश दिया था कि हाईकोर्ट्स सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की निगरानी करें। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को निर्देश दिया था कि वे इन मामलों में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर नियमित रिपोर्ट लें और यदि आवश्यक हो तो इन मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें भी गठित करें।
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