Brij Bihari Prasad murder case: बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में अपराधी से नेता बने विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने 3 अक्टूबर 2024 के फैसले की समीक्षा याचिका खारिज कर दी है, जिसमें कहा गया कि समीक्षा का कोई आधार नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी ठहराते हुए 15 दिन में आत्मसमर्पण करने और 20,000 रुपये जुर्माने का आदेश दिया गया. हालांकि, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य को बरी करने का पटना हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहा.
1998 में हुई थी बृज बिहारी प्रसाद की हत्या
बता दें कि यूपी के गोरखपुर के कुख्यात गैंगस्टर रहे श्रीप्रकाश शुक्ला ने 13 जून 1998 को पटना में बृज बिहारी प्रसाद और उनके अंगरक्षक लक्ष्मेश्वर साहू की हत्या कर दी थी. बाद में वह यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी पर हत्या और हत्या के प्रयास के आरोप साबित हुए हैं. मंटू तिवारी, रमा देवी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देवेंद्रनाथ दूबे का भांजा है. देवेंद्रनाथ दूबे की 23 फरवरी 1998 को मोतिहारी लोकसभा पुनर्मतदान से एक दिन पहले हत्या हुई थी.
हाईकोर्ट ने सभी को कर दिया था बरी
यह मामला 7 मार्च 1999 को सीबीआई को सौंपा गया था. एजेंसी ने सूरजभान सिंह और अन्य को षड्यंत्रकारी के रूप में नामजद किया था. सीबीआई के अनुसार, हत्या से पहले बेउर जेल में सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला, लल्लन सिंह और राम निरंजन चौधरी की बैठक हुई थी. निचली अदालत ने 12 अगस्त 2009 को सभी को दोषी ठहराकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2014 को सभी को बरी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की सजा बहाल की है.
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