Rajasthan News: राज्य में अवैध बजरी खनन पर रोक लगाने और पर्यावरण अनुकूल विकल्प को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने एम-सैंड (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) प्लांट की स्थापना के लिए डिजिटल माध्यम से प्लॉटों की नीलामी की तैयारी कर ली है। खान विभाग ने 77 प्लॉटों की ई-नीलामी के लिए कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया है।

डिजिटल नीलामी से होगी पारदर्शिता

राज्य में एम-सैंड इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए कुल 109 प्लॉटों की डेलिनियेशन और नीलामी की योजना बनाई गई है। इनमें से 158 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले 77 प्लॉट एम-सैंड प्लांट के लिए और 131 हेक्टेयर के 32 प्लॉट अवरबर्डन डंपिंग के लिए तैयार किए गए हैं, जिन्हें अब ई-नीलामी के माध्यम से आवंटित किया जाएगा।

26 प्लॉट पहले ही हो चुके हैं नीलाम

खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकांत ने बताया कि बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पहले ही 26 प्लॉटों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है। अब आगामी चरण में शेष प्लॉटों की ऑनलाइन नीलामी की जाएगी, जिससे प्रदेश में निर्माण कार्यों के लिए वैध और पर्यावरण के अनुकूल रेत की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

अवैध खनन पर लगेगा अंकुश, राजस्व को मिलेगा बढ़ावा

टी. रविकांत ने खनिज भवन में विभागीय अधिकारियों की बैठक में कहा कि वैध खनन को बढ़ावा देकर ही अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने खनिज प्लॉटों की नीलामी प्रक्रिया में तेजी लाने और नए राजस्व स्रोत चिन्हित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा उन्होंने बकाया वसूली और पुराने ओवरड्यू खातों को सख्ती से निपटाने के निर्देश भी दिए।

22 मेजर मिनरल ब्लॉकों की नीलामी शुरू

विभाग के निदेशक दीपक तंवर ने जानकारी दी कि चालू वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही 22 बड़े खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा एम-सैंड, माइनर मिनरल प्लॉट्स और आरसीसी-ईआरसीसी ठेकों की नीलामी भी जारी है।

क्या है एम-सैंड?

एम-सैंड (Manufactured Sand) बजरी का एक विकल्प है, जिसे कठोर चट्टानों को उन्नत क्रशिंग तकनीक से बारीक कणों में बदलकर तैयार किया जाता है। यह प्राकृतिक रेत का एक टिकाऊ और मानक विकल्प है, जिसका उपयोग निर्माण कार्यों में तेजी से बढ़ रहा है।

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